"संस्कृत भाषा का इतिहास": अवतरणों में अंतर

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==नामकरण एवं विकासयात्रा==
ऋक्संहिता की [[भाषा]] को [[संस्कृत]] का आद्यतम उपलब्ध रूप कहा जा सकता है। यह भी माना जाता है कि ऋक्संहिता के प्रथम और दशम मंडलों की भाषा प्राचीनतर है। कुछ विद्वान् प्राचीन वैदिक भाषा को परवर्ती पाणिनीय (लौकिक) संस्कृत से भिन्न मानते हैं। पर यह पक्ष भ्रमपूर्ण है। वैदिक भाषा अभ्रांत रूप से संस्कृत भाषा का आद्य उपलब्ध रूप है। "[[पाणिनि"]] ने जिस संस्कृत भाषा का व्याकरण लिखा है उसके दो अंश हैं -
 
(1) वैदिक भाषा (जिसे अष्टाव्यायी में "छंदप्" कहा गया है) और