"गुड़हल": अवतरणों में अंतर

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गुड़हल के फूलों को देवी और गणेश जी की पूजा मे अर्पित किया जाता है। गुड़हल के फूलों में, फफूंदनाशक, आर्तवजनक, त्वचा को मुलायम बनाने और प्रशीतक गुण भी पाए जाते हैं। कुछ कीट प्रजातियों के लार्वा इसका प्रयोग भोजन के रूप में करते हैं। दक्षिण भारत के मूल निवासी गुड़हल के फूलों का इस्तेमाल बालों की देखभाल के लिये करते हैं। इसके फूलों और पत्तियों को पीस कर इसका लेप सर पर बाल झड़ने और रूसी की समस्या से निपटने के लिये लगाया जाता है। इसका प्रयोग केश तेल बनाने मे भी किया जाता है। इस फूल को परंपरागत हवाई महिलाओं द्वारा कान के पीछे से टिका कर पहना जाता और इस संकेत का अर्थ होता है कि महिला विवाह हेतु उपलब्ध है।
 
== औषधीय उपयोग ==
भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के अनुसार सफेद गुड़हल की जड़ों को पीस कर कई दवाएँ बनाई जाती हैं। मेक्सिको में गुड़हल के सूखे फूलों को उबालकर बनाया गया पेय '''एगुआ डे जमाईका''' अपने रंग और तीखे स्वाद के लिये काफी लोकप्रिय है। अगर इसमें चीनी मिला दी जाय तो यह क्रैनबेरी के रस की तरह लगता है। डायटिंग करने वाले या गुर्दे की समस्याओं से पीडित व्यक्ति अक्सर इसे बर्फ के साथ पर बिना चीनी मिलाए पीते हैं, क्योंकि इसमें प्राकृतिक मूत्रवर्धक गुण होते हैं। ताइवान के चुंग शान मेडिकल यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि गुड़हल के फूल का अर्क दिल के लिए उतना ही फायदेमंद है जितना रेड वाइन और चाय। इस फूल में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखने में मददगार होते हैं। विज्ञानियों के मुताबिक चूहों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि गुड़हल (हिबिस्कस) का अर्क कोलेस्ट्राल को कम करने में सहायक है। इसलिए यह इनसानों पर भी कारगर होगा।<ref>{{cite web |url= http://www.prajabharat.com/fullstory.asp?storyid=C-10-1009484&sitecode=bhs&section=S1017&par=S31|title= गुड़हल का फूल घटाएगा कोलेस्ट्रॉल|accessmonthday=[[२५ अगस्त]]|accessyear=[[२००८]]|format=|publisher= प्रजाभारत|language=}}</ref>
 
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जवा एक पूर्ण एवं नियमित पुष्प का उदाहरण है। पुष्प के चारो भाग पुटचक्र, दलचक्र, पुमंग तथा जायांग इसमें पाएँ जाते हैं। पुटचक्र संख्या में पाँच तथा युक्तनिदल होते हैं। पुटचक्र के नीचे स्थित निपत्रों के चक्र को अनुबाह्यदल कहते हैं। दलचक्र पाँच एवं पृथकदल होते हैं परन्तु ये आधारतल पर कुछ दूर तक जुड़ा हुए होते हैं।. दलपत्रों की संख्या पाँच होती है। दलपत्रों का व्यास 4 से लेकर 15 सेंटीमीटर तक होता है। विभिन्न प्रजातियों के दलपत्र विभिन्न रंगों के एवं आकर्षक होते हैं। पुमंग अनेक एवं एकसंलाग होते हैं। तंतु संयुक्त होकर एक नली बनाते हैं परंतु परागशय अलग होते हैं। परागशय का आकार वृक्क के समान होता है। जायांग पाँच एवं प्रत्येक अंडप के अंतिम भाग में एक वर्तिकाग्र होते हैं।<ref>{{cite book |last=बनलग्रामी |first=कृष्णसहाय |title= इंटरमीडिएट वनस्पतिविज्ञान |year=1997 |publisher=भारती भवन |location=पटना |id= |page= |accessday= 100-102|accessmonth= फरवरी|accessyear= 2009}}</ref>
 
== विभिन्न प्रजातियाँ ==
<gallery>
Image:Hibiskus bluetten.JPG|ब्ल्यूटेन गुड़हल
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</gallery>
 
== इन्हें भी देखें ==
{{फूल}}
 
== संदर्भ ==
<references/>
 
 
 
[[श्रेणी:फूल]]
[[श्रेणी:फूलों वाले वृक्ष]]
 
[[az:Hibiskus]]
[[bg:Хибискус]]
[[ca:Hibiscus]]