"मन्नू भंडारी": अवतरणों में अंतर

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मन्नू भंडारी ने कहानियां और उपन्यास दोनों लिखे हैं। एक प्लेट सैलाब' (१९६२), `मैं हार गई' (१९५७), `तीन निगाहों की एक तस्वीर', `यही सच है'(१९६६), `त्रिशंकु' और `आंखों देखा झूठ' उनके महत्त्वपूर्ण कहानी संग्रह हैं। विवाह विच्छेद की त्रासदी में पिस रहे एक बच्चे को केंद्र में रखकर लिखा गया उनका उपन्यास `आपका बंटी' (१९७१) हिन्दी के सफलतम उपन्यासों में गिना जाता है। लेखक राजेंद्र यादव के साथ लिखा गया उनका उपन्यास `एक इंच मुस्कान' (१९६२) पढ़े लिखे आधुनिक लोगों की एक दुखांत प्रेमकथा है जिसका एक एक अंक लेखक-द्वय ने क्रमानुसार लिखा था। आपने `बिना दीवारों का घर' (१९६६) शीर्षक से एक नाटक भी लिखा है। मन्नू भंडारी हिन्दी की लोकप्रिय कथाकारों में से हैं। नौकरशाही में व्याप्त भ्रष्टाचार के बीच आम आदमी की पीड़ा और दर्द की गहराई को उद्घाटित करने वाले उनके उपन्यास `महाभोज' (१९७९) पर आधारित नाटक अत्यधिक लोकप्रिय हुआ था। इसी प्रकार 'यही सच है' पर आधारित 'रजनीगंधा' नामक फिल्म अत्यंत लोकप्रिय हुई थी और उसको १९७४ की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था।<ref>{{cite web |url= http://www.abhivyakti-hindi.org/lekhak/m/mannu_bhandari.htm|title=मन्नू भंडारी|accessmonthday=[[२३ दिसंबर]]|accessyear=[[२००९]]|format=|publisher=अभिव्यक्ति|language=}}</ref> इसके अतिरिक्त उन्हें हिन्दी अकादमी, दिल्ली का शिखर सम्मान, बिहार सरकार, भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, [[व्यास सम्मान]] और उत्तर-प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा पुरस्कृत।
== प्रकाशित कृतियाँ ==
कहानी-संग्रह :- एक प्लेट सैलाब, मैं हार गई, तीन निगाहों की एक तस्वीर, यही सच है, त्रिशंकु, श्रेष्ठ कहानियाँ, आँखों देखा झूठ, नायक खलनायक विदूषक।<br />
उपन्यास :- आपका बंटी, महाभोज, स्वामी, एक इंच मुस्कान और कलवा, [[एक कहानी यह भी]]।<br />
पटकथाएँ :- रजनी, निर्मला, स्वामी, दर्पण।<br />
नाटक :- बिना दीवारों का घर।<br />
== संदर्भ ==
<references/>
 
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[[en:Manu Bhandari]]
[[mr:मन्नू भंडारी]]
[[sa:मन्नू भंडारी]]