"विकिपीडिया:चौपाल": अवतरणों में अंतर

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शुक्रिया कि आप ने मुझे गुर्राने वाली प्रजाति बाघ के चरित्र से जोड़ा, वैसे आप को पता होगा, जब वह अपना शिकार करता है, तो शिकार को पता भी नही चलता कि उसे किसने मारा, खैर मुझे खुशी है कि आप उस वफ़ादार जानवर की प्रजाति के गुणसूत्रों के मुताबिक अपना भौकने का कर्म निभा रहे है (बौद्धिक संपदा की चोरी इत्यादि की खिसियाहट भी है), अब मुझे दोहरा चरित्र निभाना पड़ेगा अब बाघ से हाथी बन जाऊंगा, ताकि उस प्रजाति के शोरगुल का जबाव देने में बेजा उर्जा नष्ट न हो !
--[[सदस्य:Krishna Kumar Mishra|कृष्ण कुमार मिश्र]] ०८:५०, ११ नवंबर २०१० (UTC)
:::अनुनाद जी को पढ कर मुझे '''चोरी और सीनाजोरी''' की कहावत याद आ रही है --[[सदस्य:Logic|Logic]] १५:४२, १८ नवंबर २०१० (UTC)
 
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