"गीतगोविन्द": अवतरणों में अंतर

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'''गीत गोविन्द''' के रचयिता [[जयदेव (कवि)|जयदेव]] हैं। जयदेव का जन्म [[बंगालओडिशा]] के '''केन्दुबिल्व''' नामक ग्राम में हुआ था। वे बंगाल के सेनवंश के अन्तिम नरेश लक्ष्मणसेन के आश्रित [[महाकवि]] थे। लक्ष्मणसेन के एक शिलालेख पर १११६ ई० की तिथि है अतः जयदेव ने इसी समय में गीतगोविन्द की रचना की होगी।
 
गीतगोविन्द को गीतिकाव्य कहना उचित होगा। गीतगोविन्द में १२ सर्ग हैं। प्रत्येक सर्ग गीतों से ही समन्वित है। गीतगोविन्द में [[श्रीकृष्ण]] की गोपिकाओं के साथ [[रासलीला]], राधाविषाद वर्णन, कृष्ण के लिए व्याकुलता, उपालम्भ वचन, कृष्ण की राधा के लिए उत्कंठा, राधा की सखी द्वारा राधा के विरह संताप का वर्णन है।