"धम्मपद": अवतरणों में अंतर
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'''धम्मपद''' बौद्ध साहित्य का सर्वोत्कृष्ट लोकप्रिय ग्रंथ है। इसमें [[महात्मा बुद्ध|बुद्ध भगवान्]] के नैतिक उपदेशों का संग्रह यमक, अप्पमाद, चित्त आदि 26 वग्गों में वर्गीकृत 423 पालि गाथाओं में किया गया है। [[त्रिपिटक]] में इसका स्थान [[सुतपिटक]] के पाँचवें विभाग खुद्दकनिकाय के खुद्दकपाठादि 15 उपविभागों में दूसरा है। ग्रंथ की आधी से अधिक गाथाएँ त्रिपिटक के नाना सुत्तों में प्रसंगबद्ध पाई जा चुकी हैं। कुछ गाथाएँ ऐसी भी प्रतीत होती हैं जो मूलत: परंपरा की नहीं थीं, किंतु भारतीय ज्ञान के उस अपार भंडार में से ली गई है जहाँ से वे उपनिषद्, गीता, मनुस्मृति, महाभारत, जैनागम एवं पंचतंत्र आदि कथा कहानियों में भी नाना प्रकार से प्रविष्ट हुई हैं। धम्मपद की रचना उपलब्ध प्रमाणों से ई.पू. 300 व 100 के बीच हो चुकी थी, ऐसा माना गया है।
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