"काम": अवतरणों में अंतर
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'''काम''', जीवन के चार पुरुषार्थों ([[धर्म]], [[अर्थ]], काम, [[मोक्ष]]) में से एक है।
प्रत्येक प्राणी के भीतर रागात्मक प्रवृत्ति की संज्ञा काम है। [[वैदिक दर्शन]] के अनुसार काम सृष्टि के पूर्व में जो एक अविभक्त तत्व था वह विश्वरचना के लिए दो विरोधी भावों में आ गया। इसी को भारतीय विश्वास में यों कहा जाता है कि आरंभ में प्रजापति अकेला था। उसका मन नहीं लगा। उसने अपने शरीर के दो भाग। वह आधे भाग से स्त्री और आधे भाग से पुरुष बन गया। तब उसने आनंद का अनुभव किया। स्त्री और पुरुष का युग्म संतति के लिए आवश्यक है और उनका पारस्परिक आकर्षण ही कामभाव का वास्तविक स्वरूप है। प्रकृति की रचना में प्रत्येक पुरुष के भीतर स्त्री और प्रत्येक स्त्री के भीतर पुरुष की सत्ता है। ऋग्वेद में इस तथ्य की स्पष्ट स्वीकृति पाई जाती है, जैसा अस्यवामीय सूक्त में कहा है—जिन्हें पुरुष कहते हैं वे वस्तुत: स्त्री हैं; जिसके आँख हैं वह इस रहस्य को देखता है; अंधा इसे नहीं समझता। (स्त्रिय: सतीस्तां उ मे पुंस आहु: पश्यदक्षण्वान्न बिचेतदन्ध: ।
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इस नियम के अनुसार काम [[प्रजनन]] के लिए अनिवार्य है और उसका वह छंदोमय मर्यादित रूप अत्यंत पवित्र है। काम वृत्ति की वीभत्स व्याख्या न इष्ट है, न कल्याणकारी। मानवीय शरीर में जिस श्रद्धा, मेधा, क्षुधा, निद्रा, स्मृति आदि अनेक वृत्तियों का समावेश है, उसी प्रकार काम वृत्ति भी देवी की एक कला रूप में यहाँ निवास करती है और वह चेतना का अभिन्न अंग है।
== इन्हें भी देखें ==
* [[कामशास्त्र]]
* [[कामसूत्र]]
* [[कर्म]]
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://rachanakar.blogspot.com/2009/12/blog-post_04.html
* [http://experts.about.com/e/k/ka/kamadeva.htm/ About.com page]
* [http://www.thecolorsofindia.com/holi-legends/sacrifice-of-kamadeva.html/ Kamadeva's holy sacrifice]
[[श्रेणी:
[[श्रेणी:काम]]
[[bg:Кама (санскрит)]]
[[ca:Kama]]
[[de:Kama (Indien)]]
[[en:Kama]]
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