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ग्लोब पर पश्चिमभूमध्य सेरेखा पूरब कीके ओरसमान्तर खींची गई कल्पनिक रेखा । अक्षांश रेखाओं की कुल संख्या १८० है । प्रति १ डिग्री की अक्षांशीय दूरी लगभग १११ कि. मी. के बराबर होती हैं जो पृथ्वी के गोलाकार होने के कारण भूमध्य रेखा से ध्रुवों तक भिन्न-भिन्न मिल्तीमिलती हैं ।इसे। इसे [[यूनान|यूनानी]] भाषा के अक्षर फाई यानि <math>\phi\,\!</math> से दर्शाया जाता है। तकनीकी दृष्टि से, अक्षांश, [[अंश]] या (डिग्री) में अंकित्,अंकित कोणीय मापन है जो [[भूमध्य रेखा]] पर 0° से लेकर ध्रुव पर 90° हो जाता है।
 
==अक्षांश==
अक्षांश, [[भूमध्यरेखा]] से किसी भी स्थान की उत्तरी अथवा दक्षिणी ध्रुव की ओर की कोणीय दूरी का नाम है। भूमध्यरेखा को 0° की अक्षांश रेखा मान लिया गया है। भूमध्यरेखा से उत्तरी ध्रुव की ओर की सभी दूरियाँ उत्तरी अक्षांश और दक्षिणी ध्रुव की ओर की सभी दूरियाँ दक्षिणी अक्षांश में मापी जाती है। ध्रुवों की ओर बढ़ने पर भूमध्यरेखा से अक्षांशों की दूरी बढ़ने लगती है। इसके अतिरिक्त सभी अक्षांश रेखाएँ परस्पर समानांतर और पूर्ण वृत्त होती हैं। ध्रुवों की ओर जाने से वृत्त छोटे होने लगते हैं। 90° का अक्षांश ध्रुव पर एक बिंदु में परिवर्तित हो जाता है।
 
पृथ्वी के किसी स्थान से सूर्य की ऊँचाई उस स्थान के अक्षांश पर निर्भर करती है। न्यून अक्षांशों पर दोपहर के समय सूर्य ठीक सिर के ऊपर रहता है। पृथ्वी के तल पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों की गरमी विभिन्न अक्षांशों पर भिन्न-भिन्न होती हैं। पृथ्वी के तल पर के किसी भी देश अथवा नगर की स्थिति का निर्धारण उस स्थान के अक्षांश और [[देशांतर]] के द्वारा ही किया जाता है।
 
किसी स्थान के अक्षांश को मापने के लिए अब तक [[खगोलकीय]] अथवा [[त्रिभुजीकरण]] नाम की दो विधियाँ प्रयोग में लाई जाती रही हैं। किंतु इसकी ठीक-ठीक माप के लिए 1971 में श्री [[निरंकार सिंह]] ने भूघूर्णनमापी नामक यंत्र का आविष्कार किया है जिससे किसी स्थान के अक्षांश की माप केवल अंश (डिग्री) में ही नहीं अपितु कला (मिनट) में भी प्राप्त की जा सकती है।
 
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