"अपोलो १": अवतरणों में अंतर

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ए एस २०४ यह नाम था उस यान का जो अपोलो १ कैपसूल को पृथ्वी की कक्षा मे स्थापित करने वाला था। यह सैटर्न १बी(Satirn 1B) राकेट से प्रक्षेपित होने वाला अमरीका का पहला अपोलो अभियान था, जो कि चन्द्रमा पर मानव के पहले कदम के लिये एक मील का पत्थर साबीत होने वाला था। इसे १९६७ की पहली तिमाही मे प्रक्षेपित किया जाना था। इस अभियान का लक्ष्य था, प्रक्षेपण प्रक्रिया की जांच, भूमीकेन्द्र द्वारा यान नियंत्रण और मार्गदर्शण की जांच था।
 
==यात्री दल==
 
* '''विर्गील ग्रीसम''' (मर्क्युरी-रेडस्टोन ४ तथा जेमीनी ३ का अनुभव),मुख्य चालक
Virgil Grissom (flew on Mercury-Redstone 4 & Gemini 3), Command Pilot
* '''एड व्हाईट''' (जेमीनी ४ का अनुभव), वरिष्ठ चालक
Ed White (flew on Gemini 4), Senior Pilot
* '''रोजर कैफी''' (अंतरिक्ष यात्रा का अनुभव नही), चालक
Roger B. Chaffee (never flew in space), Pilot
 
==अभियान==
 
जनवरी २७ सन १९६७ को कोई प्रक्षेपण की योजना नही थी। योजना थी कि एक छद्म(Simulated) प्रक्षेपण से यह जांच की जाये कि अपोलो यान अपनी अंदरूनी बिजली से सामान्य कार्य कर सकता है या नही। यदि यान इस जांच मे सफल हो जाये और अगली सभी जांच मे सफल हो तो २१ फरवरी १९६७ को इस यान को प्रक्षेपित किया जाना तय था।
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यान मे आक्सीजन का दबाव ज्यादा हो गया था और यात्रीयो और नियंत्रण कक्ष के बिच मे संपर्क टूट गया था। इस वजह से जांच को ५.४० मिनट तक स्थगित कर दिया गया। ६.२० तक उल्टी गिनती जारी थी लेकिन ६.३० को फिर से उल्टी गिनती रोक कर नियंत्रण कक्ष और यात्रीयो के बीच सपर्क स्थापित करने की कोशीश की गयी।
 
==दूर्घटना==
अपोलो १ यह अंतरिक्ष यात्रा के लिये बनाया जरूर गया था लेकिन इसका उद्देश्य चंद्रमा की यात्रा नही था इसलिये इसमे लैंड करने के लिये उपकरण नही थे। यान मे यात्री नियंत्रण कक्ष से संपर्क टूट जाने की स्थिती मे की जाने वाली स्थिती मे होने वाली क्रियाओ की जरूरी जांच मे लगे थे। ६.३१ मिनट पर नियंत्रण कक्ष को एक सही तरह से काम कर रही COM लींक से कैफी की आवाज मे एक संदेश मिला की काकपिट मे आग लगी है। कुछ सेकंड बाद एक तेज चीख के साथ संपर्क पूरी तरह टूट गया। टीवी के मानीटर पर व्हाइट को यान का द्वार खोलने की कोशीश करते देखा गया। यान इस तरह से बना था कि द्वार अंदर की ओर खुलता था लेकिन्न आक्सीजन का दबाव बाहर की ओर होने से उसे खोलने नही दे रहा था। इससे ज्यादा बूरी बात यह थी कि दरवाजे को खोलने के लिये यात्रीयो को कई बोल्ट खोलने थे। आक्सीजन का दबाव बडते जा रहा था। कुछ देर मे वह इतना हो गया कि दरवाजा खोलना असंभव हो गया था।
[[Image:Apollo 1 fire.jpg|thumb|left|अपोलो १ के जले हुये अवशेष। ]]
 
आक्सीजन की वजह से आग तेजी से फैली और पल भर मे सब कुछ खत्म हो गया। यान बीना प्रक्षेपण के ही जलकर राख हो या। यह सिर्फ १७ सेकंड के बीच मे हो गया। तीनो यात्री शहीद हो गये !
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इस दुर्घटना ने अपोलो अभियान को नये सीरे से अभिकल्पित करने मजबूर कर दिया। यान की अभिकल्पना मे काफी सारे बदलाव किये गये। इसके बावजूद अपोलो यान मे काफी सारी खामीया थी, जो कि अपोलो १३ तक जारी रही।
==यांदे==
[[Image:Apollo1plaque.JPG|thumb|right|300px|उड़ान केन्द्र ३४ मे लगी हुयी अपोलो १ की एक प्लेक ]]
 
इन तीन शहीद यात्रीयो के नाम तीन तारो को दिये गये है ये तारे है नवी(Navi), ड्नोसेस(Dnoces) और रेगोर(Regor)। यह नाम इवान(ivan), सेकंड(Second) और रोजर (roger) को उल्टा लिखे जाने पर मिलते है। चन्द्रमा पर के तीन गढ्ढो के और मंगल पर तीन पहाडीयो के नाम भी इन शहीदो के नाम पर रखे गये है।
 
[[श्रेणी:अंतरिक्ष]]
[[श्रेणी:चन्द्र अभियान]]
[[श्रेणी:अपोलो अभियान]]