"पारिभाषिक शब्दावली": अवतरणों में अंतर

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==पारिभाषिक शब्दावली का विकास==
[[प्राचीन भारत]] में ही दर्शन, ज्योतिष, आयुर्वेद आदि कुछ विषयों में प्रचुर भारतीय शब्दावली उपलब्ध थी. उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में ही वैज्ञानिक उपलब्धियों से संबंधित शब्दावली हिन्दी भाषा में आने लगी थी. [[नागरीप्रचारिणी सभा|काशी नागरी प्रचारिणी सभा]], वाराणसी ने वैज्ञानिक शब्दावलियों के रूप में सर्वप्रथम पुस्तकाकार प्रकाशन किये। इस दिशा में [[डॉ. सत्यप्रकाश]] ([[विज्ञान (हिन्दी पत्रिका)|विज्ञान परिषद]], इलाहाबाद) तथा [[रघु वीर|डॉ. रघुवीर]] के कार्य विशेष उल्लेखनीय हैं।
 
डॉ. रघुवीर के कोश कार्य की एक ओर अत्यधिक प्रशंसा हुई, दूसरी ओर अत्यधिक आलोचना. वस्तुत: यह प्रशंसनीय कार्य था, जिसको अत्यधिक श्रम से वैज्ञानिक आधार पर प्रस्तुत किया गया. संपूर्णत: संस्कृत पर आधारित होने के कारण इसकी व्यावहारिकता पर संदेह किया जाने लगा. उन्होंने सर्वप्रथम भाषा-निर्माण में यांत्रिकता तथा वैज्ञानिकता को स्थान दिया. [[उपसर्ग]] तथा [[प्रत्यय|प्रत्ययों]] के धातुओँ के योग से लाखों शब्द सहज ही बनाये जा सकते हैं: