"आस्ट्रेलिया दिवस": अवतरणों में अंतर

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ये सभी जहाज़ 18 -20 जनवरी के बीच न्यू साउथ वेल्ज़ में ‘बोटनी बे’ पहुंचे परन्तु वहां तेज़ हवाओं, ताज़े पानी की कमी और अच्छी मिट्टी के अभाव में वहां से निकल जाना पड़ा। हालांकि वहीं पर पहली बार ऑस्ट्रेलिया के आदिवासियों से आमना-सामना भी हुआ। इक्कीस जनवरी को नाव में बैठकर कप्तान फिलिप दूसरी जगह ढूँढने निकला, पोर्ट जैकसन उसे ठीक लगा और अंततः छब्बीस जनवरी 1788 को जहाज़ों ने वहाँ लंगर डाल दिया। कप्तान फिलिप ने इसे नया नाम दिया 'सिडनी कोव' और ब्रिटेन का झंडा फहरा कर औपचारिक रूप से उसे ब्रिटेन की बस्ती के रूप में घोषित कर दिया। तबसे लेकर आज तक ऑस्ट्रेलिया वासी इस नए राष्ट्र के उदय की खुशी में ऑस्ट्रेलिया डे मनाते हैं।
== आक्रमण दिवस के रूप में ==
जहां एक ओर ऑस्ट्रेलिया डे का उत्सव मनाया जाता है, वहीं दूसरी ओर ऑस्ट्रलिया के मूल निवासी आदिवासी एबोरीजल्स इसे एक दूसरे रूप में मनाते हैं। यूरोपीय लोगों के आने के इस दिन को वे मूल आदिवासी संस्कृति और प्रकृति के विनाश के रूप में मनाते हैं औरहैं। 1938 में इसे शोक दिवस यानि ‘डे(डे ऑफ़ मौर्निंग’मौर्निंग) कहकरनाम पुकारादिया गयागया। परन्तु बाद में आस्ट्रेलियाई लोगों के आपत्ति करने के कारन इसेइसका बादनाम मेंबदलकर आक्रमण दिवस '(इन्वेज़न डे') या ‘सर्वाइवल डे’ के नाम से पुकारा गया। हालांकि अब एबोरीजल्स स्वयं को ऑस्ट्रेलिया का ही एक हिस्सा मानते हैं और ऑस्ट्रलियन सरकार ने उनके हित में विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं, परन्तु ये उनका इतिहास को याद रखने का एक प्रयास है ।
== राष्ट्रीय समारोह ==
 
ऑस्ट्रेलिया डे पर देश के हर राज्य में विशेष उत्सवों का आयोजन किया जाता है, लोग सुबह से ही किसी भी सार्वजनिक स्थान पर इकट्ठे होने लगते हैं जैसे पार्क आदि में। झंडा फहराया जाता है, भाषण होता है, महत्वपूर्ण स्थानों पर परेड भी होती है, संगीत का आयोजन होता है, सरकार की तरफ से फ्री बार-बी- नाश्ता भी होता है, जिसमें लोग ब्रेड रोल सौसेज के साथ खाते हैं, बच्चों के लिए तरह-तरह के क्रिया-कलाप आयोजित किये जाते हैं, गैस भरे गुब्बारों की टोकरी में बैठकर बच्चे बहुत खुश होते हैं, नौका दौड़ होती है और पूरे दिन उत्सव का माहौल बना रहता है। रात को आतिशबाजी भी होती है। नए नागरिकों को शपथ दिलाई जाती है और नागरिकता प्रमाण पत्र दिए जाते हैं। ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा में ऑस्ट्रेलिया डे के अवार्ड्स दिए जाते हैं, और पूरा दिन हँसते-हंसाते बीत जाता है। आजकल कुछ भारतीय मूल की संस्थाएं ऑस्ट्रेलिया और रिपब्लिक डे एक साथ मनाती हैं, भारतीय नाच गाने, भाषण के अलावा भारतीय मूल के विद्यार्थियों को हाई स्कूल में उच्च अंकों के लिए उपहार व सम्मान भी दिया जाता है।