"पूतिरोधी": अवतरणों में अंतर

छो प्रतिरोधी का नाम बदलकर पूतिरोधी कर दिया गया है।
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[[चित्र:ExAntiseptic.jpg|right|thumb|250px|त्वचा पर प्रतिरोधी का प्रयोग]]
[[चिकित्सा]] में '''प्रतिरोधीपूतिरोधी''' (Antiseptics) ऐसे द्रव्य हैं जो सूक्ष्म जीवों की वृद्धि को रोकते, या उनका विनाश करते हैं।हैं (पूति = संतान)। यहाँ पर इनका विचार विशेष रूप से शरीर के संपर्क में आने वाले सूक्ष्म जीवों के विनाश की दृष्टि से किया गया है। प्रतिरोधी शब्द की परिभाषा कुछ अस्पष्ट ही है, क्योंकि अनेक ऐसे द्रव्य हैं जो जीवाणुनाशक होने के कारण [[निस्संक्रामक|रोगाणुनाशी]] (disinfectant) श्रेणी में आते हैं, पर जिन्हें प्ररितरोधी द्रव्यों के अंतर्गत भी परिगणित किया जाता है। वास्तव में ये दोनों शब्द सापेक्ष हैं। रोगाणुनाशी द्रव्य प्रतिरोधी द्रव्यों से अधिक तीव्र होते हैं और जल में तनुकृत करने पर ऐसे अधिकांश द्रव्य प्रतिरोधी जैसा कार्य करते हैं। प्रतिरोधी क्रिया मंदप्रभावी होते हुए भी अधिक देर तक बनी रहती है।
 
आदर्श जीवाणुनाशक द्रव्य ऐसा होना चाहिए जो शारीरिक कोशिकाओं को बिना किसी प्रकार नुकसान पहुँचाए, जीवाणुओं का विनाश या प्रतिरोध कर सके। यद्यपि ऐसा आदर्श द्रव्य अभी तक नहीं प्राप्त हो सका है तथापि चिकित्सा क्षेत्र में ऐसे द्रव्यों का प्रयोग किया जाता है जो कम से कम हानि पहुँचाएँ। इन द्रव्यों का परस्पर मूल्याकंन करना कठिन है, क्योंकि इनके बहुत अधिक प्रकार हो गए हैं तथा इनको विभिन्न परिस्थितियों में कार्य करना पड़ता है। रोगाणुनाशक क्रिया निम्नालिखित बातों पर निर्भर करती है :