"मिश्रित ज्वालामुखी": अवतरणों में अंतर
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[[Image:FujiSunriseKawaguchiko2025WP.jpg|thumb|[[फुजी पर्वत]], एक सक्रिय मिश्रित ज्वालामुखी है इसका अंतिम उद्गार 1707–08 में हुआ था]]
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'''मिश्रित ज्वालामुखी''', एक लंबा, [[शंकु| शंक्वाकार]] [[ज्वालामुखी]] होता है, जिसका निर्माण जम कर ठोस हुए [[लावा]], [[टेफ्रा]], [[कुस्रन]] और [[ज्वालामुखीय राख]] की कई परतों (स्तर) द्वारा होता है। मिश्रित ज्वालामुखी को ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि, इनकी रचना ज्वालामुखीय उद्गार के समय निकले मिश्रित पदार्थों के विभिन्न स्तरों पर घनीभूत होने के फलस्वरूप होती है। [[ढाल ज्वालामुखी]] के विपरीत, तीखी ढलान, और समय समय पर होने वाले विस्फोटक उद्गार इनकी विशेषतायें है। इन ज्वालामुखियों से निकला लावा, ढाल ज्वालामुखी से निकले लावे की तुलना में अधिक श्यान (गाढ़ा और चिपचिपा) होता है और आमतौर पर उद्गार के पश्चात दूर तक बहने से पहले ही ठंडा हो जाता है। इनके लावे की रचना करने वाला मैग्मा अक्सर [[फेल्सिक]] होता है जिसमें, सिलिका की मात्रा उच्च से लेकर मध्य स्तर तक की होती है और कम श्यानता वाले [[मैफिक]] मैग्मा की मात्रा कम होती है। फेल्सिक लावा का व्यापक (दूर तक) प्रवाह असामान्य है, लेकिन फिर भी इसे 15 किमी (9.3 मील) तक बहते देखा गया है।
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