"स्त्री जननांग": अवतरणों में अंतर

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स्त्रियों मे अंडेदानी में 7-8 वर्ष की उम्र से ही उत्तेजित द्रव ‘हार्मोन्स’ निकलता प्रारम्भ हो जाते है। इस हार्मोन्स को इस्ट्रोजन हार्मोन्स कहते है। इस हार्मोन्स के निकलने के कारण स्त्रियों के स्तनों के आकार बढ़ने लगते है। तथा धीरे-धीरे इनका विकास होता रहता है। 18 वर्ष की आयु तक लड़कियों का शरीर पूर्ण रूप से विकसित हो जाता है। इसके बाद स्त्रियों के शरीर में चर्बी का जमाव,शरीर का गठीला होना, बालों का विकसित होना, गर्भाशय में बच्चेदानी का पनपना और बढ़ना, जननांगों का विकास, नलियों का बढ़ना तथा प्रत्येक महीने के बाद माहवारी का आना प्रमुख पहचान बन जाती है। स्त्रियों में प्रारम्भ में माहवारी अनियमित रहती है। माहवारी के नियमित होने में कई महीने का समय लग सकता है। परन्तु माहवारी के नियमित रूप से होने के लिए किसी उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। धीरे-धीरे स्त्रियों में माहवारी स्वतः ही नियमित रूप से होने लगती है।
 
अखिलेश सिह सतेती बदायू
 
== हडिड्यों की बनावट ==
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<small><small>Small Text</small></small>==कूल्हे के नीचे का भाग ==
कूल्हे के नीचे का हिस्सा मांसपेशियों और तंतुओं से मिलकर बना होता है। कूल्हे का निचला भाग सैक्रम हड्डी से प्यूबिक सिम्फाईसिस तक होता है। इसमें मल द्वारा,मूत्र द्वार व जनन द्वार जाकर खुलते है। यह पेट के सभी अंगों को नियंत्रण में रखता है तथा खांसी और छींक आने पर मांसपेशियां पेट के अंगों को नीचे की ओर आने से रोकती है। महिलाओं में कब्ज होने के समय मलद्वार को यहीं मांसपेशियां रोकती है। इन मांसपेशियों को लिवेटर एनाई कहते है। महिलाओं के योनि की मांसपेशियां बच्चे के समय एक विशेष प्रकार का रूप धारण कर लेती है। मांसपेशियों की तंतुएं एक-दूसरे से मिलकर एक सरल रास्ता बनाती है जिससे जन्म के समय बच्चे को अधिक स्थान सरलतापूर्वक मिल जाता है।
 
बच्चे के जन्म के समय बच्चे के सिर की हडिड्यों की विशेष भूमिका होती है। सिर की हडिड्यां के बीच में थोड़ा सा स्थान होता है। बच्चे के जन्म के समय सिर की हडिड्यां एक-दूसरे के ऊपर चढ़ जाती है जिससे बच्चे का जन्म सरलता और आसानी से हो जाता है।बच्चे के जन्म का रास्ता लगभग 10 सेंटीमीटर चौड़ा होता है जबकि बच्चे का सिर मात्र 9.5 सेंटीमीटर का होता है। इस कारण प्रसव आसानी से हो जाता है। यदि बच्चे के सिर और बच्चे का आकार अधिक हो या कूल्हे का आकार छोटा हो तो ऐसी अवस्था में बच्चे के जन्म के लिए आपरेशन करना पड़ सकता है।
 
== [[मूलाधार]] ==
महिलाओं के दोनों टांगों के बीच के त्रिकोण भाग को मूलाधार या पैरानियम भी कहते है। पैरानियम बाडी मलद्वार के आगे तथा जननद्वार के पीछे होती है। इसमें कूल्हे के निचले भग की सभी मांसपेशियां आपस में मिलती है। यह प्रत्येक व्यक्तियों में अलग-अलग होती है। किसी में यह कमजोर और किसी में यह अधिक शक्तिशाली होती है।इस प्रकार से पैरानियम जननद्वार के पीछे तथा नीचे की दीवार को सहारा दिये रहती है। संभोग क्रिया के समय पैरानियम जननद्वार को पीछे की ओर से साधे रहती है। बढ़ती आयु के साथ-साथ यह कमजोर हो जाती है। कूल्हे के चरों ओर की मांसपेशियों के यहां एकत्र होने के कारण यहां का रोग या पस चारों ओर फैल सकता है। बच्चे के जन्म के पहले जननद्वार को यहीं से काटकर चौड़ा बनाया जाता है। ताकि बच्चे के जन्म के समय अधिक से अधिक स्थान प्राप्त हो सके तथा बच्चे के जन्म के लिए अधिक चीड़-फाड़ न करना पड़े । प्रसव के बाद टांके इन्हीं मांसपेशियों में लगाये जाते है जिसको ऐपिजियोटोमी कहते है
 
[[श्रेणी:स्त्री शरीर]]
अखिलेश सिहॅ सतेती
[[श्रेणी:प्रजनन]]
बदायू
[[श्रेणी:गर्भधारण]]