"अभ्युदय": अवतरणों में अंतर

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{{PAGENAME}} [[नरेन्द्र कोहली]] द्वारा रचित उपन्यास है।
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'''अभ्युदय''' का अर्थ 'सांसारिक सौख्य तथा समृद्धि की प्राप्ति'। [[महर्षि कणाद]] ने [[धर्म]] की परिभाषा में अभ्युदय की सिद्धि को भी परिगणित किया है (यतोऽभ्युदयनिःश्रेयससिद्धि: स धर्म: ; वैशेषिक सूत्र १।१।२।)। भारतीय धर्म की उदार भावना के अनुसार धर्म केवल मोक्ष की सिद्धि का ही उपाय नहीं, प्रत्युत ऐहिक सुख तथा उन्नति का भी साधन है। इसलिए वैदिक धर्म में अभ्युदय काल में श्राद्ध का विधान विहित है। [[रघुनन्दन भट्टाचार्य]] ने अभ्युदय श्राद्ध को दो प्रकार का माना है : भूत जो पुत्रजन्मादि के समय होता है और भविष्यत्‌ जो विवाहादि के अवसर पर होता है। सारांश यह है कि [[वैदिक धर्म]] केवल परलोक की ही शिक्षा नहीं देता, प्रत्युत वह इस लोक को भी व्यवहार की सिद्धि के लिए किसी भी तरह उपेक्षणीय नहीं मानता।
 
 
{{नरेन्द्र कोहली की कृतियाँ}}