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आपने पूरे भारत मे प्रस्तुतियां दीं, सराहे गये और भारतीय शास्त्रीय संगीत को व्यापक बनाने के लिये कई विश्व यात्रायें कीं । यहां यह बात ध्यान देने योग्य है कि आप अमेरिका में (अलीस्टेर कूक के "ऒमनीबस" में, १९५५) टेलीविजन प्रस्तुति देने वाले पहले भारतीय शास्त्रीय संगीतज्ञ थे । भारतीय शास्त्रीय संगीत के अध्यापन और प्रसार के लिये, १९५६ मे इन्होने कोलकाता में अली अकबर संगीत महाविद्यालय की स्थापना की । दो साल बाद, [[बर्कले, कैलीफोर्निया|बर्कले]], [[कैलीफोर्निया]] (अमरीका), में इसी नाम से एक और विद्यालय की नींव रखी, १९६८ में यह विद्यालय अपने वर्तमान स्थान [[सान रफ़ेल, कैलीफोर्निया]], [[कैलीफोर्निया]] आ गए। सान रफ़ेल स्कूल की स्थापना के साथ ही अली अकबर खां, संयुक्त राष्ट् अमेरिका में ही बस गये, यद्यपि यात्रायें करते रहे । फिर भी अस्वस्थता के कारण आज कल यह कम हुआ हैं । १९८५ में, इन्होने अली अकबर महाविद्यालय की एक और शाखा [[बेसिल, स्विट्ज़रलैंड|बेसिल]], [[स्विट्ज़रलैंड]] में स्थापित की है।
 
वे अल्प समय में ही एक राग का स्वरूप प्रस्तुत करने में सिद्धहस्त हैं जिसके कारण पिछले दशक में 78 आरपीएम के छोटे रिकार्डों पर वे छाए रहे। उनकी लंबी संगीतमंच प्रस्तुतियाँ सामान्यत: शांत एवं सरल संगीत के आलाप और जोड़ से शुरु होकर द्रुत गत और झाले की तरफ जाती हैं, जो सीनिया बीनकार शैली का विशेषता हैं। साथ ही वहवे दो वाद्य यंत्रों के बीच होने वाले "सवाल जवाब" को प्रस्तुत करने वाले संगीतज्ञों का बेहतरीन उदाहरण हैं। बढ़ती उम्र एवं बीमारी की वज़ह से उनकी संगीत प्रस्तुतियों की संख्या में कमी आई है पर संगीत के बारे में उनकी जानकारी उल्लेखनीय है।
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He is a past master at outlining a melody with great economy of stroke, which has stood him in good stead in his short 78 rpm records in the middle of the last century.
उनकी लंबी संगीत प्रस्तुतियाँ सामान्यत: शांत एवं सरल संगीत के आलाप और जोड़ से शुरु होकर द्रुत गत और झाले की तरफ जाती हैं। साथ ही वह दो वाद्य यंत्रों के बीच होने वाले "सवाल जवाब" को प्रस्तुत करने वाले संगीतज्ञों का बेहतरीन उदाहरण हैं। बढ़ती उम्र एवं बीमारी की वज़ह से उनकी संगीत प्रस्तुतियों की संख्या में कमी आई है पर संगीत के बारे में उनकी जानकारी उल्लेखनीय है।
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His long concert performances progress from the meditative (alap, jod) to the exhilarating (gat, jhala) in a highly structured build-up in the Senia beenkar style. He is also possibly the best living exponent of "sawal-jawab", a dialogue between two instruments (usually one melodic and one percussion). Of late, ill health has reduced the frequency of his concerts and affected his physical dexterity on his instrument, but his musical depth is still very much extant.
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खाँ साहब ने कई शास्त्रीय [[जुगलबंदी|जुगलबंदियों]] में भाग लिया। उसमें सबसे प्रसिद्ध जुगलबंदी उनके समकालीन विद्यार्थी एवं बहनोई [[सितार वादक]] [[रवि शंकर]] एवं [[निखिल बैनर्जी]] के साथ तथा वायलन वादक [[एल सुब्रह्मण्यम भारती]] जी के साथ है। [[विलायत ख़ाँ|विलायत ख़ान]] के साथ भी उनकी कुछ रिकार्डिंग उपलब्ध हैं। साथ ही उन्होंने कई पाश्चात्य संगीतकारों के साथ भी काम किया।