विश्व कुष्ठ रोग दिवस
विश्व कुष्ठरोग दिवस हैन्सेन रोग अथवा कुष्ठरोग की जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिवर्ष जनवरी माह के अन्तिम रविवार को मनाया जाता है। इस दिन का चुनाव कुष्ठरोग के से ग्रसिथ लोगों के प्रति सहानुभूति रखने वाले महात्मा गांधी के सम्मान में फ्रांसीसी सामाजिक कार्यकर्ता राउल फोलेरो द्वारा किया गया। इसे वर्ष 1954 से मनाना आरम्भ किया गया।[1]
कुष्ठरोग विश्व के सबसे पुराने रोगों में से एक है। यह संक्रामक दीर्घकालीक रोग है जो तन्त्रिका तन्त्र पर हमला करता है। तंत्रिका तंत्र में भी मुख्य रूप से शरीर के बाहरी भागों जैसे हाथ, पैर, मुह आदि पर अधिक प्रभावी होता है। पोप फ़्रांसिस भी इस दिवस को मनाने का समर्थन कर चुके हैं।[2]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ मैकमेनामिन, डोरोथी (2011). Leprosy and stigma in the South Pacific: a region-by-region history with first person accounts. Jefferson, NC: मैकफ़ारलैंड. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-7864-6323-7. अभिगमन तिथि 29 जनवरी 2024.
- ↑ "Pope Francis proclaims World Day for Grandparents and the Elderly". कैथोलिक समाचार एजेंसी (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2024-01-29.
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