विश्व गिरजाघर परिषद: (World Council of Churches—WCC) का उद्भव वर्ष 1921 में अनेक ईसाई आन्दोलनों के एकजुट होने से हुआ। एकजुट होने वाले ईसाई आन्दोलनों में अंतरराष्ट्रीय मिशनरी परिषद, आस्था एवं व्यवस्था आंदोलन (the Faith and Order Movement) तथा जीवन एवं कार्य आन्दोलन (the Life and Work Movement) प्रमुख थे। गिरजाघरों की एक परिषद गठित करने के उद्देश्य से 1938 में विलियम टेम्पल (William Temple) के अधीन एक अस्थायी समिति का गठन किया गया डब्ल्यूसीसी का विधिवत् गठन 23 अगस्त, 1948 को एमस्टर्डम में हुआ। सदस्यता का आधार तय करने वाले अध्यादेश (1975) के अनुसार, विश्व गिरजाघर परिषद उन गिरजाघरों की मंडली (fellowship) है, जो धर्मग्रंथों के आधार पर प्रभु जीजस क्राइस्ट को ईश्वर और रक्षक के रूप में स्वीकार करते हैं और अतः एक ईश्वर, पिता, पुत्र और धार्मिक आत्मा को सामूहिक रूप से महिमामंडित करने के लिये प्रयत्नशील हैं। तद्नुसार, वे सभी गिरजाघर डब्ल्यूसीसी के सदस्य बनने के योग्य होते हैं, जो इस आधार से सहमत हैं तथा जो सभा या केन्द्रीय समिति द्वारा निर्धारित मानदंडों को पूरा करते हैं। आज विश्व के 150 से अधिक देशों के लगभग 349 गिरजाघर डब्ल्यूसीसी के सदस्य हैं। इससे जुड़े प्रमुख ईसाई सम्प्रदाय हैं- ऐंग्लिकन, बैपटिस्ट, कांग्रेगेशनल, लूथेरन, मेंथोडिस्ट, ओल्ड कैथोलिक, ऑर्थोडॉक्स, प्रेसबायटेरियन, रिफार्म्ड एंड सोसायटी ऑफ़ फ्रेंड्स। रोमन कैथोलिक गिरजाघर परिषद की बैठकों में आधिकारिक पर्यवेक्षक भेजता है।

विश्व गिरजाघर परिषद का चिन्ह

उद्देश्य

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गिरजाघरों की एकता को स्पष्ट अभिव्यक्ति की तैयारी करना तथा ईसाई गिरजाघरों के मध्य सहयोग विकसित करना डब्ल्यूसीसी के प्रमुख लक्ष्य हैं। संरचना डब्ल्यूसीसी में एक सभा होती है, जो शासी निकाय का कार्य करती है। सदस्य- गिरजाघरों के प्रतिनिधि शासी निकाय के सदस्य होते हैं। सभा की बैठक प्रत्येक सात या आठ वर्ष में होती है, जिसमें डब्ल्यूसीसी की नीतियों का निर्धारण होता है। सभा को कोई विधायी अधिकार प्राप्त नहीं है इसके निर्णयों का क्रियान्वयन सदस्य-गिरजाघरों की कार्यवाही पर निर्भर करता है केन्द्रीय समिति में सभा द्वारा चुने गए 150 सदस्य होते हैं सभा की नीतियों और निर्णयों को लागू करने के उद्देश्य से इसकी प्रत्येक वर्ष बैठक होती है कार्यपालक समिति अध्यक्षों, अधिकारियों तथा केंद्रीय समितियों द्वारा चुने जाने वाले 20 सदस्यों की बनी होती है परिषद की कार्य-सूची तैयार करने तथा उसके कार्यों के पर्यवेक्षण के उद्देश्य से गठित कार्यपालक समिति की वर्ष में दो बैठकें होती हैं।

सामान्य सचिवालय कार्यक्रम इकाइयों की कार्य-प्रणाली में समन्वय स्थापित करता है। यह एकतावर्धक केन्द्र पुस्तकालय तथा एकतावर्धक नेतृत्व प्रदान करने के उद्देश्य से गठित एकतावर्धक संस्थान के लिये भी उत्तरदायी होता है। सामान्य सचिवालय का प्रधान अधिकारी महासचिव होता माध्यम से होता है।

गतिविधियां

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कार्यक्रम समिति, जो कि केन्द्रीय समिति का एक अंग है, परिषद के कार्यों को संगठित करती है कार्यक्रम समिति, के अधीन संचार, महिला, न्याय, शांति और सृजन, युवा, एकतावर्धक संबंधों और अन्तर-सम्प्रदाय संबंधों से जुड़े विषयों के लिये परामर्शकारी समूहों का गठन किया गया है। 1998 में हरारे जिम्बाब्वे में अंतरराष्ट्रीय सभा के आयोजन के बाद डब्ल्यूसीसी के कार्यों को पुनर्संगठित किया गया है। सभा ने डब्ल्यूसीसी की गतिविधियों को चार समूहों (clusters) में वर्गीकृत कर दिया-(i) संबंध; (ii) मुद्दे और विषय (Issues andThemes); (iii) संचार, और; (iv) वित्त, सेवा और प्रशासन। संबंध (Relationship) के अधीन दो कार्यक्रम आते हैं चचों की सामूहिक कार्यवाही और एकतावर्धक गिरजाघर ऋण कोष। मुद्दे और विषय के अधीन ये चार कार्यक्रम आते हैं-आस्था एवं व्यवस्था; मिशन और ईजीलवाद (Evangelism); न्याय, शांति और सृजन, तथा; शिक्षा एवं सार्वदेशिक रचना। फरवरी 2006 में, गॉड, इन योर ग्रेस, ट्रांसफॉर्म द वर्ल्ड थीम के तहत्ड ब्ल्यूसीसी की पोर्टो अलग्रे (ब्राजील) में असेम्बली की बैठक हुई। वर्ष 2013 में केन्या की एंग्लिकन चर्च की एग्नेस अबुओम को डब्ल्यूसीसी की सेंट्रल कमेटी का मॉडरेटर नियुक्त किया गया। वह पहली महिला और पहली अफ्रीकी हैं जिन्हें ये पद प्राप्त हुआ।