विषैले सर्प

२० वैसेले सा

विषैले सर्प सर्पों की एक तरह की प्रजाति है, जो विष बनाने में सक्षम होते हैं। इस जहर या विष का उपयोग सर्प अपने शिकार को आसानी से पकड़ने और बचाने के लिए करते हैं। इनके पास चबाने लायक दाँत नहीं होते हैं। यह जीवों को सीधे निगलने का कार्य करते हैं। इस कारण शिकार को अच्छी तरह से पचाने हेतु यह विष का उपयोग करते हैं। इससे कुछ ही पलों में शिकार की मृत्यु हो जाती है और सर्प अपने भोजन को बिना किसी विरोध के खा लेता है। कई बार सर्प अपने आप को बचाने के लिए भी विष का उपयोग करते हैं। लेकिन कई तरह के सर्पों की प्रजाति विष नहीं बना सकती है। लेकिन इनमें से कई सर्पों के विष का मनुष्य पर उतना हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता है।

विषेले सर्प , जहर

विकास संपादित करें

विषैले सर्पों का इतिहास लगभग 2 करोड़ 50 लाख वर्ष पुराना है।[1] इनका यह विष एक तरह की लार है जो यह शिकार को रोकने और अपनी आत्म रक्षा के लिए उपयोग करने लगे हैं। इनकी अति विशिष्ट दांत, खोखले नुकीले धीरे धीरे विकसित होने लगे। इन सर्पों को विषैला के रूप में वर्गीकृत किया गया है। लेकिन कई सर्पों में जहर मौजूद होता है, लेकिन बहुत कम मात्रा में। कुछ रक्त को लक्ष्य में रखते हैं तो कुछ ऊतक को। इस तरह की 'विषाक्त लार' का विकास छिपकली में भी समानान्तर रूप से हुआ है। एक परिकल्पना के अनुसार कुछ सर्प प्रजातियों ने या तो अपना विष के उत्पादन क्षमता को खो दिया है या वह छोटे शिकार को पकड़ने के लिए कम मात्रा में ही विष का उत्पादन करते हैं। जिससे मनुष्यों पर इसका हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता है।

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Oldest fossil evidence of modern African venomous snakes found in Tanzania, Ohio University, March 20, 2014, डीओआइ:10.1371/journal.pone.0090415, मूल से 9 मार्च 2016 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 26 सितंबर 2015

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें