विष्णु गणेश पिंगले

भारतीय क्रांतिकारी

विष्णु गणेश पिंगले (2 जनवरी 1888-17 नवम्बर 1915) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक क्रान्तिकारी थे। वे गदर पार्टी के सदस्य थे। लाहौर षडयंत्र केस और हिन्दू-जर्मन षडयंत्र में उनको सन् १९१५ फांसी की सजा दी गयी।

महान क्रांतिकारी विष्णु गणेश पिंगले

विष्णु का जन्म 2 जनवरी 1888 को पूना के गांव तलेगांव में हुआ। सन 1911 में वह इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त करने अमेरिका पहुंचे जहां उन्होंने सिएटल विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग कालेज में प्रवेश लिया। वहां लाला हरदयाल जैसे नेताओं का उन्हें मार्गदर्शन मिला। महान क्रांतिकारी करतार सिंह सराभा से उनकी मित्रता थी। देश में गदर पैदा करके देश को स्वतंत्र करवाने का सुनहरी मौका देखकर विष्णु गणेश बाकी साथियों के साथ भारत लौटे और ब्रिटिश इंडिया की फौजों में क्रांति लाने की तैयारी में जुट गये। उन्होंने कलकत्ता में श्री रास बिहारी बोस से मुलाकात की। वह शचीन्द्रनाथ सांयाल को लेकर पंजाब चले आए। उस समय पंजाब, बंगाल और उत्तर प्रदेश में सैनिक क्रांति का पूरा प्रबंध हो गया था किन्तु एक गद्दार की गद्दारी के कारण सारी योजना विफल हो गई। विष्णु पिंगले को नादिर खान नामक एक गद्दार व्यक्ति ने गिरफ्तार करवा दिया। गिरफ्तारी के समय उनके पास 10 बम थे। उन पर मुकदमा चलाया गया और 17 नवम्बर 1915 को सेंट्रल जेल लाहौर में उन्हें फांसी दे दी गयी।

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