वीगनवाद
वीगनवाद (अंग्रेज़ी: veganism) पशु उत्पादों के उपयोग से परहेज़ रखने की प्रथा है, विशेषकर आहार में; साथ ही, वह एक सम्बन्धित दर्शन भी है जो पशुओं की पण्य स्थिति को अस्वीकारता है।[1] इस आहार अथवा दर्शन का अनुयायी वीगन कहा जाता है।
कभी-कभी वीगनवाद की अनेक श्रेणियों के बीच अंतर किया जाता है। पथ्य वीगन पशु उत्पादों का सेवन करने से परहेज़ रखते हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि वे न केवल मांस का त्याग करते हैं, अपितु अण्डों और दुग्ध उत्पादों और अन्य पशु से निकले खाद्यपदार्थों का भी उपभोग नहीं करते। कुछ पथ्य वीगन पशु उत्पाद वाले कपड़े पहनने का चयन करते हैं (उदाहरणार्थ, चमड़ा या ऊन)।[2]
नीतिशास्त्रीय वीगन' शब्द का प्रयोग अक़्सर उनके लिए होता हैं, जो इस दर्शन को आहार से परे, जीवन के अन्य क्षेत्रों में विस्तारित करते हैं। इस दर्शन का अर्थ है किसी भी हेतु के लिए पशु उत्पादों का विरोध करना।[n 1] पर्यावरणीय वीगनवाद का सन्दर्भ पशु उत्पादों का त्याग करने से हैं, क्योंकि पशुओं की उत्पत्ति और औद्योगिक कृषि पर्यावरणीय रूप से नुकसानदायक और असंधारणीय हैं।[8]
इतिहास
संपादित करेंउद्गम
संपादित करेंसख़्त शाकाहारी
संपादित करेंवीगन शब्द का ईजाद (1944)
संपादित करेंबढ़ती रूचि
संपादित करेंमुख्यधारा में (2010 दशक)
संपादित करेंडेमोग्राफिक्स
संपादित करेंपशु उत्पाद
संपादित करेंत्याग
संपादित करें===अण्डे, माँस, शहद, कोषा( शिल्क) ,चमड़े के उत्पाद जैसे कपड़े जूते, बेल्ट, बैग,आदि, पशुओं पर प्रयोग की गई सौंदर्य सामग्री एवं दवाएँ, हाथी दाँत आदि के आभूषण, मोर पंख, शेर के नाख़ून।
वीगन आहार
संपादित करेंसोया
संपादित करेंपेड़ दूध, चीज़, मेयो
संपादित करेंअण्डे के विकल्प
संपादित करेंवीगन भोजन समूह -- व्यक्तिश: एक सामान्य अनुभव के अंतर्गत परिणामात्मक निष्कर्ष निकला है, जो आपके साथ साझा करना उचित समझता हूँ। . एक वर्ष से ऊपर हो गया। हमने हमारी पुत्री के विवाह में पशुदुग्ध एवं इससे निर्मित खाद्य पे-प्रदार्थों का सेवन त्यागा था। पुत्री के विवाह में जो भी मिठाईयां, सब्जियां, चाय, दूध, कॉफी आदि प्रत्येक पशुदूध से निर्मित सामग्री का सेवन करना त्याग दिया था। आज तक के अनुभव में यह तथ्य प्रमाणिक रुप से स्पष्ट हुआ है कि हमें बेहद आक्रोश गुस्सा आता था, वह 90 प्रतिशत स्वत: सर्वभाव में नहीं आता है। इसकी पुष्टि हमारी धर्मपत्नी जी ने भी है। क्योंकि इन्हीं को हमारे गुस्सेले व्यवहार से सर्वाधिक वेदिता होना पड़ता था। . एक और अनुभव यह उभर कर आया कि हम बेहद तामसिक प्रवृत्ति से युक्त थे। जो अब काम ऊर्जा का उदर्वगमन हो चुका है।
*दूध*
आजकल वीगनवाद के नाम पर गायों को समाप्त करने का बड़ा षड्यंत्र चल रहा है, कुछ भटके हुए लोग मात्र दूध का विरोध कर रहे हैं, दूध को मांसाहार बता रहे हैं और माँस खाने का विरोध नहीं कर रहे हैं या कर भी रहे हैं तो दूध के त्याग का विरोध जोरशोर से कर रहे हैं & मांसाहार का बहुत हल्के शब्दों में।
गाय भैंसों पर जो अत्याचार करके दूध प्राप्त किया जा रहा है उसके लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा, भारत में गायों को माता इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहाँ गायों का दूध पिया जाता है, परंतु स्वार्थी लोगों ने इसे बड़ा धंधा बना लिया है। इसका उपाय ये है कि हर व्यक्ति कुत्ते पालने की बजाय गायों को पाले , उनकी सेवा करे उससे दूध, गोबेर, गोमूत्र, प्राप्त करे।
तत्त्व
संपादित करेंप्रोटीन
संपादित करेंविटामिन बी12
संपादित करेंकैल्शियम
संपादित करेंविटामिन डी
संपादित करेंआयरन
संपादित करेंओमेगा-3 फैटी एसिड्स, आयोडीन
संपादित करेंगर्भावस्था, शिशु और बच्चे
संपादित करेंकच्चा वीगनवाद
संपादित करेंव्यक्तिगत चीज़े
संपादित करेंतोइलेट्रीज़, गृहस्थी
संपादित करेंकपड़े
संपादित करेंदर्शन
संपादित करेंनीतिशास्त्रीय वीगनवाद
संपादित करेंपर्यावरणीय वीगनवाद
संपादित करेंइन्हें भी देखें
संपादित करेंविगनवादियों और शाकाहारियों में अन्तर
संपादित करेंभोजन जो शाकाहारी नहीं खाते | भोजन जो वीगनवादी नहीं खाते |
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सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ वीगनवाद और पण्य रूप में पशुओं के लिए:
हेलेना Pedersen, Vasile Staescu, "Conclusion: Future Directions for Critical Animal Studies," in Nik Taylor, Richard Twine (eds.), The Rise of Critical Animal Studies: From the Margins to the Centre, Routledge, 2014 (pp. 262–276), p. 267 Archived 2016-12-05 at the वेबैक मशीन: " ... we are vegan because we are ethically opposed to the notion that life (human or otherwise) can, or should, ever be rendered as a buyable or sellable commodity."
गैरी Steiner, Animals and the Limits of Postmodernism, Columbia University Press, 2013, p. 206 Archived 2016-12-04 at the वेबैक मशीन: " ... ethical veganism, the principle that we ought as far as possible to eschew the use of animals as sources of food, labour, entertainment and the like ... [This means that animals] ... are entitled not to be eaten, used as forced field labor, experimented upon, killed for materials to make clothing and other commodities of use to human beings, or held captive as entertainment."
गैरी Francione, "Animal Welfare, Happy Meat and Veganism as the Moral Baseline," in डेविड एम० Kaplan, The Philosophy of Food, यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया प्रेस, 2012 (pp. 169–189) p. 182: "Ethical veganism is the personal rejection of the commodity status of nonhuman animals ..."
गैरी Steiner, "Animal, Vegetable, Miserable" Archived 2016-12-13 at the वेबैक मशीन, दी न्यू यॉर्क टाइम्स, 21 November 2009: "People who are ethical vegans believe that differences in intelligence between human and non-human animals have no moral significance whatsoever. The fact that my cat can't appreciate Schubert's late symphonies and can't perform syllogistic logic does not mean that I am entitled to use him as an organic toy, as if I were somehow not only morally superior to him but virtually entitled to treat him as a commodity with minuscule market value."
सामान्यतः पशुओं के पण्यीयीकरण के लिए:
कैथरीन Gillespie, "Nonhuman animal resistance and the improprieties of live property," in Irus Braverman (ed.), Animals, Biopolitics, Law, Routledge, 2015, chapter six. See in particular the section "The Animal-as-Commodity."
Rosemary-Claire Collard, Kathryn Gillespie, "Introduction," in कैथरीन Gillespie, Rosemary-Claire Collard (eds.), Critical Animal Geographies, Routledge, 2015, p. 2.
Gregory R. Smulewicz-Zucker, "The Problem with Commodifying Animals," in Gregory R. Smulewicz-Zucker (ed.), Strangers to Nature: Animal Lives and Human Ethics, Lanham, MD: Lexington Books, 2012, pp. 157–175.
Rhoda Wilkie, "Sentient Commodities: The Ambiguous Status of Livestock," Livestock/Deadstock: Working with Farm Animals from Birth to Slaughter, Temple University Press, 2010, chapter 6, pp. 115–128 Archived 2016-12-05 at the वेबैक मशीन; also 176–177 Archived 2016-12-04 at the वेबैक मशीन.
डेविड N. Cassuto, "Owning What You Eat: The Discourse of Food," in J. Ronald Engel, Laura Westra, Klaus Bosselman (eds.), Democracy, Ecological Integrity and International Law, Cambridge Scholars Publishing, 2009.
- ↑ "The Great Vegan vs. Plant-Based Debate - UC Davis Integrative Medicine". UC Davis Integrative Medicine (अंग्रेज़ी में). मूल से 11 अक्तूबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2016-04-14.
- ↑ Laura Wright, The Vegan Studies Project: Food, Animals, and Gender in the Age of Terror, University of Georgia Press, 2015, p. 2.
- ↑ Brenda Davis, Vesanto Melina, Becoming Vegan: Express Edition, Book Publishing Company, 2013, p. 3.
- ↑ Laura H. Kahn, Michael S. Bruner, "Politics on Your Plate: Building and Burning Bridges across Organics, Vegetarian, and Vegan Discourse," in Joshua Frye (ed.), The Rhetoric of Food: Discourse, Materiality, and Power, Routledge, 2012, p. 46.
- ↑ Gary Francione, Robert Garner, The Animal Rights Debate: Abolition Or Regulation?, Columbia University Press, 2010, p. 62 Archived 2016-12-05 at the वेबैक मशीन.
- ↑ Philip J. Tuso, et al., "Nutritional Update for Physicians: Plant-Based Diets" Archived 2017-01-16 at the वेबैक मशीन, The Permanente Journal, 17(2), Spring 2013, pp. 61–66. doi:10.7812/TPP/12-085 PMID 23704846
Debra K. Moser, Barbara Riegel, Cardiac Nursing, Elsevier Health Sciences, 2008, p. 158.
- ↑ Michael Shapiro, "Sea Shepherd's Paul Watson: 'You don't watch whales die and hold signs and do nothing'" Archived 2013-04-08 at the वेबैक मशीन, द गार्डियन, 21 September 2010.
Matthew Cole, "Veganism," in Margaret Puskar-Pasewicz (ed.), Cultural Encyclopedia of Vegetarianism, ABC-Clio, 2010 (pp. 239–241), p. 241 Archived 2016-12-04 at the वेबैक मशीन.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 18 नवंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 नवंबर 2016.
साँचा:वीगनवाद और शाकाहार साँचा:पशु अधिकार साँचा:आहार साँचा:Simple living साँचा:खाद्य उद्योग आलोचना
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