गुरुवार
गुरुवार सप्ताह का पाँचवा दिन है। इसे बृहस्पतिवार, वीरवार या बीफ़े भी कहा जाता है। यह बुधवार के बाद और शुक्रवार से पहले आता है। मुसलमान इसे जुमेरात कहते हैं क्योंकि यह जुम्मा (शुक्रवार) से एक दिन पहले आता है।
बृहस्पति को देवताओ के गुरु माना जाता है, अत: इस दिन को गुरुवार भी कहा जाता है।
श्री बृहस्पतिवार की आरती
बृहस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। आज के दिन श्री हरि विष्णु के बृहस्पति रूप का पूजन किया जाता है। बृहस्पति देव देवताओं के गुरू माने जाते हैं। साथ ही वह भगवान विष्णु के अंशावतार माने जाते हैं। आज बृहस्पति देव का पूजन करने से ज्ञान, गुण, विवेक की प्राप्ति होती है।
बृहस्पति कवच स्तोत्र
बृहस्पति: शिर: पातु ललाटं पातु में गुरु:।
कर्णौ सुरुगुरु: पातु नेत्रे मेंभीष्टदायक:।।
बृहस्पति चालीसा
वीर देव भक्तन हितकारी।सुर नर मुनिजन के उद्धारी।
वाचस्पति सुर गुरू पुरोहित। कमलासन बृहस्पति विराजित।
स्वर्ण दंड वर मुद्रा धारी। पात्र माल शोभित भुज चारी।
है स्वर्णिम आवास तुम्हारा।पीत वदन देवों में न्यारा।
व्रत गुरुवार के दिन किया जाता है इस व्रत को करने से मन के सारे भय निकल जाते है और पूण्य की प्राप्ति होती है माना जाता है कि इस व्रत को सच्चे मन और श्रद्धा के साथ जो भी करते है, उसे धन की और संतान की प्राप्ति होती है
अन्य तथ्य संपादित करें
- हिन्दू धर्म में गुरुवार बृहस्पति को समर्पित है।
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