वीरांगना जुही देवी
झाँसी के तोपखाने की कमांडर जूही
१८५८ ग्वालियर
महारानी लक्ष्मीबाई की महिला सेना की कमांडर जूही अंत तक महारानी के साथ रही थी। जूही ने अंतिम समय तक अदम्य साहस और शौर्य का प्रदर्शन किया था। वह झाँसी के क़िले से रानी के साथ ही निकल आई थी। कालपी तथा ग्वालियर में अँग्रेज़ों के साथ युद्ध में जूही ने अँग्रेज़ी सेना पर क़हर बरसा दिया। अंतिम दिन के युद्ध में जूही ने तोपख़ाने को सँभालते हुए अँग्रेज़ों के छक्के छुड़ा दिए तब घबराकर ह्यूरोज ने अपने सैनिकों ने उसे घेर लेने का आदेश दिया। चारों ओर से घिर जाने के बाद भी जूही ने दुश्मनों के परखच्चे उड़ाते हुए उनकी कई तोपों को बेकार कर दिया। अंतिम समय तक जूझते हुए यह वीरांगना स्वतंत्रता की बलिवेदी पर शहीद हो गई । १६ जून १८५८ को ग्वालियर में ही इसका अंतिमसंस्कार किया गया ।