वीरेन्द्र कुमार बरनवाल
वीरेन्द्र कुमार बरनवाल भारत के प्रसिद्ध कवि एवं लेखक है।
वीरेन्द्र कुमार बरनवाल | |
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जन्म | 21 अगस्त 1941 फूलपुर, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश |
पेशा | कवि, लेखक |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
उच्च शिक्षा | काशी हिन्दू विश्वविद्यालय |
खिताब | महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार |
जीवन परिचय
संपादित करेंवीरेन्द्र कुमार बरनवाल जी का जन्म 21 अगस्त, 1941 में आजमगढ़ जिला के फूलपुर गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री दयाराम बरनवाल तथा माता का नाम श्रीमती गायत्री देवी था। इन्होने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से बी.ए. (ऑनर्स), एम॰ए॰ तथा भोपाल विश्वविद्यालय से एल-एल.बी किया। कुछ वर्ष अंग्रेज़ी भाषा और साहित्य का अध्यापन, सन् 1969 से 2005 तक भारतीय राजस्व सेवा (इंडियन रेवेन्यू सर्विस) में, मुख्य आयकर आयुक्त के पद से सेवानिवृत्त। बरनवाल जी हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी, संस्कृत तथा तुलनात्मक साहित्य के साथ हास्य पर पड़े साहित्य, अश्वेत और रेड इंडियन साहित्य एवं भारतीय पुनर्जागरण तथा स्वतंत्रता-संग्राम के विमर्श में गहरी रुचि है।[1]
प्रमुख कृतियाँ
संपादित करेंबरनवाल जी की तो अनेक कृतियाँ है, परन्तु ‘जिन्ना : एक पुनर्दृष्टि’ एक प्रसिद्ध रचना है।[2]
- पानी के छींटे सूरज के चेहरे पर (नाइज़ीरियाई कविताओं के अनुवाद)
- वोले शोयिंका की कविताएँ
- पहल
- रक्त में यात्रा
- वो पहला नाखुदा हिन्दोस्तानी के सफीने का—वली दक्खिनी
- तनाव
- माची तवारा की कविताएँ
- जिन्ना : एक पुनर्दृष्टि
- हिन्द स्वराज : नव सभ्यता-विमर्श
- रतनबाई जिन्ना
- हिन्द स्वराज : नव सभ्यता विमर्श
- मुस्लिम नवजागरण और अकबर अल्लहाबादी का 'गाँधीनमा'
पुरस्कार
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Author-Virendra Kumar Baranwal
- ↑ Google books
- ↑ "महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार". Khsindia. मूल से 20 अगस्त 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 फ़रवरी 2020.