वृक्षासन (ध्रुवासन) संपादित करें

सीधे खड़े होकर दायें पैर को उठा कर बायें जंघा पर इस प्रकार रखें की पैर का पंजा नीचे की ओर तथा एड़ी जंघाके मूल में लगी हुई हो। दोनों हाथों को नमस्कार की स्थिति मे सामने रखिए। इस स्थिति में यथाशक्ति बने रहने के पश्चात इसी प्रकार दूसरे पैर से अभ्यास करें।

लाभ संपादित करें

मन की चंचलता को दूर करता है। स्त्रायुमण्डल का विकास कर स्थिरता प्रदान करता है।

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें