अंडकोष पुरूष के नीचे एक थैली होती है। इसे स्क्रोटम कहा जाता है। इस थैली की त्वचा ढीली होती है। जो गर्मियों में अधिक बढ़कर लटक जाती है तथा सर्दियों में सिकुड़कर छोटी होती है। इसके अंदर वृषण होते है इनका मुख्य कार्य शुक्राणु और पुरूष उत्तेजित द्रव को बनाना होता है। वे पुरूष जो आग के सामने कार्य करते है, अधिक गर्म पानी से नहाते हैं। यह कच्छा को अधिक कसकर बांधते हैं। उनके अंडकोष से शुक्राणु कम मात्रा में या नहीं बन पाते है। अंडकोश की लंबाई 5 cm सेमी और चौड़ाई 2.5 सेमी होती है। इसमें रक्त का संचार बहुत अधिक होता है। दोनों तरफ के अंडकोष एक नलिका के द्वारा जुड़े होते हैं। जिसको वास डिफेरेन्स कहते है तथा दूसरी तरफ ये अन्य ग्रंथि से जुड़े रहते हैं। जिनको सेमिनाल वेसाईकल कहते है।