वैश्विक दीप्तिमंदकता

वैश्विक धुँधलापन (अंग्रेज़ी: Global Dimming) जिसे ग्लोबल डिमिंग या सार्वत्रिक दीप्तिमंदकता भी कहते हैं, पृथ्वी की सतह पर वैश्विक प्रत्यक्ष ऊर्जा मान की मात्रा में क्रमिक रूप से आयी कमी से संबंधित है। यह पृथ्वी की सतह तक पहुँचने वाले सूर्य के प्रकाश की मात्रा में गिरावट को दर्शाता है। इसका मुख्य कारण वातावरण में मानवीय क्रियाकलापों से गंधक कण जैसे कणों की उपस्थिति को माना जाता है। चूंकि वैश्विक धुँधलेपन के प्रभावस्वरूप शीतलन की अवस्था भी देखी गयी है इसलिए माना जाता है कि यह वैश्विक तापन के प्रभाव को अंशतः कम कर सकता है।


बाहरी कड़ियाँ

संपादित करें
  • Shah, Anup. "Global Dimming". Global Issues. मूल से 28 अगस्त 2008 को पुरालेखित.
  • Liepert, Beate. "Global Dimming (requires flash)". Lamont-Doherty Earth Observatory of Columbia University. मूल से 24 नवंबर 2012 को पुरालेखित.
  • Schmidt, Gavin. "Global Dimming - part 1". RealClimate. मूल से 28 जनवरी 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 मार्च 2013.
  • Liepert, Beate. "Global Dimming - part 2". RealClimate. मूल से 28 जनवरी 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 मार्च 2013.
  • Connolley, William. "Global Dimming may have a brighter future". RealClimate. मूल से 8 मार्च 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 मार्च 2013.
  • *V, Ramanathan. "Global Dimming by Air Pollution and Global Warming by Greenhouse Gases: Global and Regional Perspectives" (PDF). 17th International Conference on Nucleation and

Atmospheric Aerosols, Galway, Ireland, August 13th-17th, 2007. मूल (PDF) से 5 अक्तूबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 मई 2013. |publisher= में 49 स्थान पर line feed character (मदद); |title= में 73 स्थान पर line feed character (मदद) Podcasts

Q&A

News articles