वॉल स्ट्रीट पर कब्जा करो

वॉल स्ट्रीट अमरीका का एक मार्ग है जो लोवर मैनहट्टन, न्यूयॉर्क सिटी, न्यूयॉर्क, USA में है। यह मार्ग ब्रॉडवे से पूर्व दिशा में ईस्ट नदी की ओर इस आर्थिक जिले के ऐतिहासिक केन्द्र से होते हुए साउथ स्ट्रीट तक जाता है। यह न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज का पहला स्थायी स्थल है; कुछ समय बाद वॉल स्ट्रीट, आसपास के भौगोलिक स्थल का नाम बन गया। लेकिन सितंबर २०११ के बाद से वहां शुरु हुये 'वॉल स्ट्रीट पर कब्जा करो' आंदोलन ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खिंचा है।

न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज, जैसा कि वॉल स्ट्रीट से दिखता है
वॉल स्ट्रीट का वर्तमान मानचित्र

सितंबर २०११ में शुरु हुये वॉल स्ट्रीट पर कब्जा करो आंदोलन में शामिल लोग अमरीकी समाज में लोगों की आमदनियों में बढ़ते फ़ासले, जिसे वो कॉरपोरेट के कथित लालच का नाम देते हैं और बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि सरकार पूंजीपतियों के हितों का ज़्यादा ध्यान रख रही है। कुछ जगहों पर इसे पूंजीवादी व्यवस्था के विरोधियों का एक गठबंधन भी बताया गया।

बीबीसी संवाददाता जेम्स रीड का कहना है कि हालांकि इसे मिस्र के तहरीर चौराहे जैसी क्रांति नहीं क़रार दिया जा सकता है लेकिन अमरीकी पूंजीवाद के केंद्र - वॉल स्ट्रीट पर हो रहा ये प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि आर्थिक मंदी किस तरह अमरीका में बदलाव ला रहा है। हाल के दिनों में इस तरह के हुए कई प्रदर्शनों में से एक है। इसी तरह के प्रदर्शन अमरीका के दूसरे शहरों बोस्टन, शिकागो और सन फ्रांसिसको में भी आयोजित किए गए।

पिछले कुछ वर्षो में भवन निर्माण वित्तीय शक्ति के संदर्भ में वाल स्ट्रीट अमरीका में कुख्यात हो गया है। न्यूयॉर्क में वाल स्ट्रीट के सामने कुछ लोगों द्वारा शुरू किया गया प्रदर्शन देखते ही देखते अमरीका के कोने-कोने में फैल गया। 'वाल स्ट्रीट पर कब्जा करो' के नारे के साथ शुरू हुआ जन आंदोलन लाभ के निजीकरण और घाटे के सामाजीकरण की अवधारणा के खिलाफ गुस्से की अभिव्यक्ति है।

आर्थिक नीतियों और राहत पैकेज का लाभ अमरीका की मात्र एक प्रतिशत जनता को ही मिला है। अनुमान है कि अमरीका के चार सौ धनी परिवारों का देश की कुल आर्थिक संपदा के 50 फीसदी पर कब्जा है। राजनीतिक दलों और सत्तारूढ़ कुलीन तबके के खिलाफ लोग शांति मार्च निकाल रहे हैं।

उद्योगपतियों के हाथों में होने के कारण मीडिया घराने भी इन विरोध प्रदर्शनों को अधिक कवरेज नहीं दे रहे हैं। 'हम 99 प्रतिशत हैं' युवाओं में यह नारा लोकप्रिय हो रहा है। दूसरी आर्थिक मंदी के कारण बढ़ती बेरोजगारी लोगों के गुस्से की आग में ईंधन का काम रही है।

वाल स्ट्रीट पर कब्जा करो अभियान एक ऑस्ट्रेलियन वैज्ञानिक द्वारा मौत की चेतावनी जारी करने के एक साल बाद शुरू हुआ है। ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी में माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर फ्रेंक फैनर ने दावा किया है कि मानव जाति जनसंख्या विस्फोट से पैदा हुए बेकाबू उपभोग के कारण अपना अस्तित्व नहीं बचा पाएगी और आने वाले सौ सालों में खत्म हो जाएगी. साथ ही कुछ अन्य जीव-जंतुओं का अस्तित्व भी समाप्त हो जाएगा.

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