व्यवस्थात्मक जोखिम (वित्त)

व्यवस्थात्मक जोखिम वित्त की अवधारणा है जिसका अर्थ है ऐसा जोखिम जो कि संपूर्ण व्यवस्था में ही व्याप्त हो तथा विशाखन (विभिन्न विकल्पों में निवेश) करने से भी उससे बचा नहीं जा सकता।[1] ब्याज दरें, मंदी, युद्ध आदि एसे जोखिमों के कुछ उदाहरण हैं।

  1. "The Capital Asset Pricing Model: An Overview". मूल से 4 जुलाई 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जुलाई 2016.