भारत तथा जावा और बोर्नियो में प्राप्त बहुत से शिलालेख शंखलिपि में हैं। इस लिपि के वर्ण 'शंख' से मिलते-जुलते कलात्मक होते हैं

यह लिपी तीर्थंकर महावीर कालिन हैं. राजगीर, बिहार मे रास्तों पर भी खुदि है।गौतम बुद्ध पहले जैन थे तथा महावीर के शिष्य थे.जब वे अलग हुये तो उदयगिरि आये.और शंख लिपी मे महावीर के लिये संदेश छोड गये.

महाभारत कालीन स्मृतियों के भौतिक अवशेष तो अब यहां नहीं रहे किंतु यहां ऐसे अनेक चिन्ह हैं जिनसे पता चलता है कि विराट नगर, जिसे पूर्व में बैराठ के नाम से भी जाना जाता था, के दक्षिण की ओर बीजक पहाड़ी है। यहां पर एक शिलालेख प्राप्त हुआ इस शिलालेख को भाबरू शिलालेख के नाम से भी जाना जाता था। यह शिलालेख पाली व ब्राह्मी लिपि में लिखा हुआ था