शत्रु सम्पत्ति अधिनियम, १९६८
शत्रु सम्पत्ति अधिनियम 1968 भारतीय संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जिसके अनुसार शत्रु सम्पत्ति पर भारत सरकार का अधिकार होगा। [1] पाकिस्तान से 1965 में हुए युद्ध के बाद 1968 में शत्रु संपत्ति (संरक्षण एवं पंजीकरण) अधिनियम पारित हुआ था। इस अधिनियम के अनुसार जो लोग बंटवारे या 1965 में और 1971 की लड़ाई के बाद पाकिस्तान चले गए और वहां की नागरिकता ले ली थी, उनकी सारी अचल संपत्ति 'शत्रु संपत्ति' घोषित कर दी गई। उसके बाद पहली बार उन भारतीय नागरिकों को संपत्ति के आधार पर 'शत्रु' की श्रेणी में रखा गया, जिनके पूर्वज किसी ‘शत्रु’ राष्ट्र के नागरिक रहे हों। यह कानून केवल उनकी संपत्ति को लेकर है और इससे उनकी भारतीय नागरिकता पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है।
शत्रु सम्पत्ति अधिनियम, १९६८ | |
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द्वारा अधिनियमित | भारतीय संसद |
अधिनियमित करने की तिथि | 1968 |
पारित करने की तिथि | 1968 |
द्वारा पेश | किरन रिजिजू |
संशोधन | |
2016 | |
स्थिति : अज्ञात |
इस अधिनियम के प्रावधानों को महमूदाबाद के राजा ने अदालत में चुनौती दी थी और सर्वोच्च न्यायालय ने उनके पक्ष में निर्णय दिया था किन्तु 'शत्रु संपत्ति संशोधित अध्यादेश 2016' के लागू होने और 'शत्रु नागरिक' की नई परिभाषा के बाद विरासत में मिली ऐसी संपत्तियों पर से भारतीय नागरिकों का मालिकाना हक़ ख़त्म हो गया है।