शनिदेव मंदिर खरसाली
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शनिदेव मंदिर खरसाली
संपादित करें[1] खरसाली स्थित शनिदेव मंदिर उत्तरकाशी जिले का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर हिंदू धर्म की मान्यताओं और ऐतिहासिक परंपराओं का प्रतीक है। जानकी चट्टी से मात्र 1 किमी और हनुमान चट्टी से 8 किमी की दूरी पर स्थित यह मंदिर भक्तों को अपनी अनोखी वास्तुकला और धार्मिक महत्व से आकर्षित करता है।
खरसाली का शनिदेव मंदिर: धार्मिक महत्व
संपादित करेंयह मंदिर भगवान शनि को समर्पित है, जिन्हें हिंदू धर्म में 'कर्म और न्याय के देवता' कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, शनि देव सूर्यदेव के पुत्र और देवी यमुना के भाई हैं। हर साल अक्षय तृतीया के अवसर पर शनि देव अपनी बहन यमुना से यमुनोत्री में मिलने आते हैं। भाई दूज के दिन यमुना देवी को खरसाली ले जाया जाता है, जहां शीतकाल के दौरान उनकी पूजा शनिदेव मंदिर में होती है।
शनिदेव मंदिर की अनोखी वास्तुकला
संपादित करेंखरसाली का शनिदेव मंदिर चार मंजिला संरचना है, जो किले जैसा दिखता है। यह पत्थर और लकड़ी से बना है और इसकी मजबूती का प्रमाण यह है कि यह भूकंप और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं को सह चुका है।
विशेषताएँ:
संपादित करेंमंदिर की संरचना को मजबूती प्रदान करने के लिए पत्थरों को उड़द की दाल से जोड़ा गया है। लकड़ी की संकरी सीढ़ियाँ चौथी मंजिल तक ले जाती हैं, जहां शनिदेव, छाया, और नाग देवता की कांस्य मूर्तियाँ स्थित हैं। स्लेट की छत और लकड़ी के खंभे इसे सुरक्षित और टिकाऊ बनाते हैं।
शीतकालीन पूजन स्थल
संपादित करेंजब यमुनोत्री मंदिर सर्दियों के दौरान बंद हो जाता है, तो देवी यमुना की मूर्ति को खरसाली के शनिदेव मंदिर में लाया जाता है। यहां उनकी पूजा-अर्चना की जाती है, जो इस मंदिर के महत्व को और बढ़ा देती है।
- ↑ trilok singh, negi. "शनिदेव मंदिर खरसाली: धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर का संगम". https://www.jaidevbhumi.com. jai dev bhumi.
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