शनि की साढ़े साती, भारतीय ज्योतिष के अनुसार नवग्रहों में से एक ग्रह, शनि की साढ़े सात वर्ष चलने वाली एक प्रकार की ग्रह दशा होती है। ज्योतिष एवं खगोलशास्त्र के नियमानुसार सभी ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में भ्रमण करते रहते हैं। इस प्रकार जब शनि ग्रह लग्न से बारहवीं राशि में प्रवेश करता है तो उस विशेष राशि से अगली दो राशि में गुजरते हुए अपना समय चक्र पूरा करता है।[1] शनि की मंथर गति से चलने के कारण ये ग्रह एक राशि में लगभग ढाई वर्ष यात्रा करता है, इस प्रकार एक वर्तमान के पहले एक पिछले तथा एक अगले ग्रह पर प्रभाव डालते हुए ये तीन गुणा, अर्थात साढ़े सात वर्ष की अवधि का काल साढ़े सात वर्ष का होता है। भारतीय ज्योतिष में इसे ही साढ़े साती के नाम से जाना जाता है।[2][3]

२३ फ़ीट ऊंची शनिदेव की मूर्ति, बनन्जे, उडुपी

साढ़े साती के आरम्भ होने के बारे में कई मान्यताएं हैं। एक प्राचीन मान्यता के अनुसार जिस दिन शनि किसी विशेष राशि में होता है उस दिन से शनि की साढ़े साती शुरू हो जाती है। एक अन्य मान्यता यह भी है कि शनि जन्म राशि के बाद जिस भी राशि में प्रवेश करता है, साढ़े साती की दशा आरम्भ हो जाती है और जब शनि जन्म से दूसरे स्थान को पार कर जाता है तब इसकी दशा से मुक्ति मिल जाती है। ज्योतिषविद शनि के आरम्भ और समाप्ति को लेकर एक गणितीय विधि का आकलन करते हैं, जिसमें साढ़े साती के आरम्भ होने के समय और समाप्ति के समय के अनुमान हेतु चन्द्रमा के स्पष्ट अंशों की आवश्यकता होती है।[1] चन्द्रमा को इस विधि में केन्द्र मान लिया जाता है। इस प्रकार साढ़े साती की अवधि में शनि तीन राशियों से निकलता है, तो तीनों राशियों के अंशों के कुल समय को दो भागों में विभाजित कर लिया जाता है। इस प्रक्रिया में चन्द्र से दोनों तरफ एक-एक अंश की दूरी बनती है।[3] शनि जब इस अंश के आरम्भ बिन्दु पर पहुंचता है तब साढ़े साती का आरम्भ माना जाता है और जब अंतिम अंश को पार कर जाता है तब इसका अंत माना जाता है।[2]

संस्कृत पाठ: शनि के कक्षा पूरी करने में कितने दिन लगते हैं?
स्रोत पार्शवीय घूर्णन का अनुमानित समय[4]
सूर्य सिद्धांत १०,७६५ दिन, १८ घंटे, ३३ मिनट, १३.६ सैकिण्ड
सिद्धांत शिरोमणि १०,७६५ दिन, १९ घंटे, ३३ मिनट, ५६.५ सैकिण्ड
क्लाडियस टॉलमी १०,७५८ दिन, १७ घंटे, ४८ मिनट, १४.९ सैकिण्ड
२०वीं शताब्दी आकलन १०,७५९ दिन, ५ घंटे, १६ मिनट, ३२.२ सैकिण्ड

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अलग अलग राशियों के व्यक्तियों में इसका प्रभाव भी अलग अलग होता है। कुछ व्यक्तियों को साढ़े साती आरम्भ होने के कुछ समय पूर्व ही इसके संकेत मिल जाते हैं और अवधि समाप्त होने से पूर्व ही उसके प्रभावों से मुक्त हो जाते हैं, वहीं कुछ लोगों को देर से शनि का प्रभाव दिखाई पड़ता है और साढ़े साती समाप्त होन के कुछ समय बाद तक इसके प्रभाव समाप्त होते हैं। उनके अनुसार साढ़े साती के संदर्भ में कुण्डली में जन्म चन्द्र से द्वादश स्थान का विशेष महत्व है। इस स्थान का महत्व अधिक इसलिये हैं कि द्वादश स्थान चन्द्र रशि के निकट होता है। ज्योतिष में द्वादश स्थान से काल पुरूष के पैरों का विश्लेषण किया जाता है तो दूसरी ओर बुद्धि पर भी इसका प्रभाव होता है।

शनि साढ़े साती के तथ्य

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शनि साढ़े साती तीन हिस्सों में होती है. हर एक हिस्सा लग भग २ वर्ष ६ माह का होता है। [5] अगर तथ्यों पर ध्यान दे, तो शनि का मकसद व्यक्ति को जीवन भर के लिए सिख देने का होता है. इसलिए पहले २ वर्ष ६ माह के हिस्से में शनि व्यक्ति को मानसिक रूप से परेशान करता है. दूसरे हिस्से में आर्थिक, शारीरिक, विश्वास इत्यादि रूप से क्षति पहुंचाता है, और तीसरे और आखिरी हिस्से में शनि महाराज, अपने कारण जो जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई करवाते है। यह वो समय होता है, जब व्यक्ति को सत्य का ज्ञान होता है.

लक्षण और उपाय

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ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार कुछ विशेष प्रकार की घटनाएं होती हैं जिनसे साढ़े साती चालू होने के संकेत मिलते हैं। इस दौरान असामान्य घटानाओं से आभास हो सकता है कि अवधि चालू है।[6] ज्योतिषाचार्य इसके प्रभाव से बचने हेतु कई उपाय बताते हैं:

कहते हैं कि शिव की उपासना करने वालों को इससे राहत मिलती है। अत: नियमित रूप से शिवलिंग की पूजा व अराधना करनी चाहिए। पीपल वृक्ष शिव का रूप माना जाता है, वैसे इसमें सभी देवताओं का निवास मानते हैं, अतः पीपल को अर्घ्र देने से शनि देव प्रसन्न होते हैं।[7] अनुराधा नक्षत्र में अमावस्या हो और शनिवार का योग हो, उस दिन तेल, तिल सहित विधि पूर्वक पीपल वृक्ष की पूजा करने से मुक्ति मिलती है।[2] शनिदेव की प्रसन्नता हेतु शनि स्तोत्र का नियमित पाठ करना चाहिए। इसके अलावा हनुमान जी को भी रुद्रावतार माना जाता है। अतः उनकी आराधना भी इसके निवारण हेतु फ़लदायी होती है।[8] मान्यता अनुसार नाव के तले में लगी कील और काले घोड़े का नाल भी इसमें सार्थक उपाय होते हैं। इनकी अंगूठी बनवाकर धारण कर सकते हैं। शनि से संबंधित वस्तुएं, जैसे लोहे से बने बर्तन, काला कपड़ा, सरसों का तेल, चमड़े के जूते, काला सुरमा, काले चने, काले तिल, उड़द की साबूत दाल, आदि शनिवार के दिन दान करने से एवं काले वस्त्र एवं काली वस्तुओं[9] का उपयोग करने से शनि की प्रसन्नता प्राप्त होती है।[1] इसके अलावा अन्य उपाय भी बताये जाते हैं। शनि की दशा से बचने हेतु किसी योग्य पंडित से महामृत्युंजय मंत्र द्वारा शिव का अभिषेक कराएं तो भी मुक्ति मिलना संभव होता है।

साढ़े साती शुभ भी

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शनि की ढईया और साढ़े साती को प्रायः अशुभ एवं हानिकारक ही माना जाता है।[1] विद्वान ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार शनि सभी व्यक्ति के लिए कष्टकारी नहीं होते हैं। शनि की दशा में बहुत से लोगों को अपेक्षा से बढ़कर लाभ, सम्मान व वैभव की प्राप्ति होती है। हालांकि कुछ लोगों को शनि की दशा में काफी परेशानी एवं कष्ट का सामना करना होता है। इस प्रकार शनि केवल कष्ट ही नहीं देते बल्कि शुभ और लाभ भी प्रदान करते हैं। इस दशा के समय यदि चन्द्रमा उच्च राशि में होता है तो अधिक सहन शक्ति आ जाती है और कार्य क्षमता बढ़ जाती है जबकि कमज़ोर व नीच का चन्द्र सहनशीलता को कम कर देता है व मन काम में नहीं लगता है। इससे समस्याएं और बढ़ जाती हैं। जन्म कुण्डली में चन्द्रमा की स्थिति का आंकलन करने के साथ ही शनि की स्थिति का आंकलन भी आवश्यक होता है। अगर लग्न,वृष,मिथुन,कन्या,तुला,मकर अथवा कुम्भ है तो शनि हानि नहीं पहुंचाते हैं वरन उनसे लाभ व सहयोग मिलता है शनि यदि लग्न कुण्डली व चन्द्र कुण्डली दोनों में शुभ कारक है तो किसी भी तरह शनि कष्टकारी नहीं होता है। कुण्डली में स्थिति यदि इसके विपरीत है तो साढ़े साती के समय काफी समस्या और एक के बाद एक कठिनाइयों का सामना होता पड़ता है। यदि चन्द्र राशि एवं लग्न कुण्डली उपरोक्त दोनों प्रकार से मेल नहीं खाते हों अर्थात एक में शुभ हों और दूसरे में अशुभ तो साढ़े साती के समय मिला-जुला प्रभाव मिलता है।

  1. "शनि देव की पूजा करते समय अपनाएं ये उपाय". दैनिक जागरण-मोबाइल. १०. 8 मार्च 2017 को मूल से पुरालेखित. {{cite web}}: Check date values in: |date= and |year= / |date= mismatch (help); Cite has empty unknown parameter: |coauthors= (help); Unknown parameter |month= ignored (help)
  2. "वर्ष 2017 में इन राशियों को लगेगी शनि की साढ़े साती, ऐसा बीतेगा साल". पत्रिका. 8 मार्च 2017 को मूल से पुरालेखित. {{cite web}}: Cite has empty unknown parameters: |month= and |coauthors= (help)
  3. कौर, गुलनीत. "शनि साढ़ेसाती 2017: जानिए किसके लिए शनि बुन रहे हैं मकड़जाल". स्पीकिंग ट्री. मूल से से 8 मार्च 2017 को पुरालेखित।. {{cite web}}: Cite has empty unknown parameters: |month= and |coauthors= (help)
  4. एबेनज़र बर्जेज़ (1989). पी.गांगुली, पी.सेनगुप्ता (ed.). सूर्य-सिद्धांत: अ टॅक्स्टबुक ऑफ़ हिन्दू एस्ट्रोनॉमी. मोतीलाल बनारसी दास (पुनर्मुद्रण), मूल: येल युनिवर्सिटी प्रेस, अमेरिकन ओरियण्टल सोसाइटी. pp. 26–27. ISBN 978-81-208-0612-2. 9 मार्च 2017 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 8 मार्च 2017.
  5. "शनि साढ़े साती, और इसपर उपाय Shani Sade Sati And Solution". {{cite web}}: Cite has empty unknown parameters: |month= and |coauthors= (help)
  6. "शनि की साढ़ेसाती और ढैया पढऩे में अरुचि व कई परेशानी पैदा करती है". दैनिक जागरण-मोबाइल. ११. 8 मार्च 2017 को मूल से पुरालेखित. {{cite web}}: Check date values in: |date= and |year= / |date= mismatch (help); Cite has empty unknown parameter: |coauthors= (help); Unknown parameter |month= ignored (help)
  7. "शनि की साढ़ेसाती और दशा से हो जाएंगे मालामाल, करें ये आसान उपाय". 8 मार्च 2017 को मूल से पुरालेखित. {{cite web}}: Cite has empty unknown parameters: |month= and |coauthors= (help)
  8. "साप्ताहिक राशिफलः 3 नवंबर से 9 नवंबर तक का हाल जानिए". ३. 8 मार्च 2017 को मूल से पुरालेखित. {{cite web}}: Check date values in: |date= and |year= / |date= mismatch (help); Cite has empty unknown parameter: |coauthors= (help); Unknown parameter |month= ignored (help)
  9. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; पत्रिका-२ नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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