न्यायिक प्रक्रिया से सम्बधित मामलों में जानबूझकर झूठी शपथ लेना शपथभंग या मिथ्या शपथ (Perjury या forswearing) कहलाता है। यह मिथ्या शपथ मौखिक या लिखित हो सकती है। किन्तु यदि झूठ ऐसे मुद्दे पर हो जो कानूनी परिणाम को प्रभावित नहीं करता तो वह 'मिथ्या शपथ' की श्रेणी में नहीं आता। उदाहरण के लिये कोई अपनी उम्र के बारे में मिथ्या वक्तव्य दे और सम्बन्धित मुकद्दमें का परिणाम इस उम्र से किसी भी प्रकार प्रभावित नहीं होता तो यह झूठ 'मिथ्या शपथ' नहीं है।

शपथभंग एक गम्भीर अपराध माना जाता है क्योंकि यह न्यायालयों की शक्ति का हरण करने की क्षमता रखता है जिससे अन्याय होने का डर है।

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