शर्मिला रेगे
भारतीय समाजशास्त्री (1964 -2023)
शर्मिला रेगे (७ अक्टूबर १९६४ - १३ जुलाई २०१३) भारतीय समाजशास्त्री और लेखिका थे।[1]वह लेख लिखे है जाति लेखन और लिंग लेखन।[2] उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय में क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले महिला अध्ययन केन्द्र, (लिंग अध्ययन विभाग) का नेतृत्व किया। उन्होंने २००६ में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज (एमआईआईएसएस) से विकास अध्ययन में विशिष्ट योगदान के लिए मैल्कम एडिसेशिया पुरस्कार प्राप्त किया।[3] रेगे भारत में अग्रणी नारीवादी विद्वानों में से एक थी, जिसने 'दलित दृष्टिकोण ' विकसित करने में काम किया। भारत में नस्लीय बहस वर्ग, जाति, धर्म और कामुकता के खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई। रेगे ने शिक्षा के क्षेत्र में काम किया, दलित छात्र के अधिकारों के अधिकार के लिए लड़ने के लिए और भारत में शैक्षिक सुधारों की गंभीरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए।
शर्मिला रेगे | |
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जन्म |
०७ अक्टूबर १९६४ पुणे, महाराष्ट्र |
मौत |
13 जुलाई 2013 पुणे | (उम्र 48 वर्ष)
राष्ट्रीयता | भारतीय |
पेशा | समाजशास्त्री, लेखिका |
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Trivedi, Divya (13 July 2013). "Sociologist who studied intersection of gender, caste". The Hindu. मूल से 16 जुलाई 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 July 2013.
- ↑ Rege, Sharmila (2 July 2006). Writing caste, writing gender: reading Dalit women's testimonios. Zubaan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-89013-01-1. मूल से 13 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 September 2011.
- ↑ Rege, Sharmila (22 November 2006). "Dalit studies must move across disciplines: Sharmila Rege". The Hindu. मूल से 10 नवंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 September 2011.