शाखन अनुपात
कण भौतिकी और नाभिकीय भौतिकी में शाखन अनुपात (branching ratio) किसी क्षय में क्षय होने वाले कण के इच्छित कण (अथवा कणों) में क्षय होने की प्रायिकता को कहते हैं। दूसरे शब्दों में किसी विशेष विधा में कण के क्षय का उसके सभी क्षयों से अनुपात को शाखन अनुपात कहते हैं। यह या तो परमाणुओं के रेडियोधर्मी क्षय या मूलकणों के क्षय पर लागू होता है। यह आंशिक क्षय नियतांक और सम्पूर्ण क्षय नियतांक के अनुपात के बराबर होता है। कभी-कभी इसे आंशिक अर्ध-आयु भी कहा जाता है, लेकिन यह शब्द भ्रामक है; क्योंकि अन्य विधा में क्षय के कारण यह सत्य नहीं है कि आधे कण अपने आंशिक अर्ध-आयु के बाद एक विशेष क्षय विधा के माध्यम से क्षय करेंगे। आंशिक अर्ध-आयु केवल आंशिक क्षय नियतांक λ को निर्दिष्ट करने का एक वैकल्पिक तरीका है, दोनों को निम्नलिखित सूत्र से लिखा जा सकता हैः
सन्दर्भ
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- एल. बी. एन. एल. समस्थानिक परियोजना
- कण डेटा समूह (कण भौतिकी के लिए सूची)
- परमाणु संरचना और क्षय डेटा-परमाणु क्षय के लिए IAEA