शाण्डिली कौशिक नाम का एक ब्राह्मण की पत्नी थी। वह एक पतिव्रता एवं निष्ठावती नारी थी। शाण्डिली ने एकबार अपने सतीत्व के बल पर सूर्य को उगने से ही रोक दिया था।[1] अत्यन्त प्राचीन काल में कौशिक नामक एक अत्यन्त क्रोधी, निष्ठुर और कोढ़ी ब्राह्मण था जिसकी पत्नी पतिव्रता और निष्ठावती थी। वह सुशीला स्त्री अपने बीभत्स रूपवाले पति को ही सर्वश्रेष्ठ देवता समझती थी। एक बार रात के समय अपने पति को कंधे पर वह कही ले जा रही थी, रस्ते में माण्डव्य ऋषि ने उसके पैर का धक्का लग जाने पर शाप दिया की यह पुरुष सूर्य उगते ही मर जाएगा … पतिव्रता ने कहा -अच्छा, यदि ऐसी बात है तो जब तक मै नहीं कहूँगी तब तक सूर्य उगेगा ही नही। बात भी ऐसी ही हुई। पतिव्रता के वचन कभी असत्य हो ही नहीं सक्ते। सूर्यदेव की गति रुक गई। सूर्य दस दिन तक नहीं उगे। इस पर समस्त ब्रह्माण्ड में हलचल मच गई।[2]

सब देवताओं ने जाकर प्रसिद्ध सती अत्रि पत्नी अनसुयाको प्रसन्न किया अनसूया शाण्डिली के पास गई और उसको सूर्यादय होने देने के लिए यह कहकर राजी किया की 'तुम्हारे पति के प्राण-त्याग करते ही मै अपने पातिव्रत से उन्हें जीवित और स्वस्थ कर दूँगी।' आधी रात को अर्ध्य उठाकर सूर्य का उपस्थान किया गया। पतिव्रत से आज्ञा पाकर खिले हुए रक्त कमल की तरह लाल-लाल सूर्य भगवान का बड़ा मंडल हिमालय पर्वत की चोटी पर उदय होने के लिए आये़।[3] जो पति को परमेश्वर के समान मानकर प्रेम से उसकी सेवा करती है, वह इस लोक में सम्पूर्ण भोगों का उपभोग करके अंत में कल्याणमयी गति को पाती है। सावित्री, लोपामुद्रा, अरुंधती, शाण्डिली, शतरूपा, अनसूया, लक्ष्मी, स्वधा, सती, संज्ञा, सुमति, श्रद्धा, मेना और स्वाहा – ये तथा और भी बहुत-सी स्त्रियाँ साध्वी कही गयी है।[4]

  1. "एक पौराणिक पतिव्रता नारी". मूल से 1 नवंबर 2023 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 जून 2022.
  2. Naritva. आत्माराम एंड संस.
  3. "भारतीय सनातन परंपरा में 'सती' की शक्ति". अभिगमन तिथि 6 अगस्त 2021.
  4. "उत्तम पातिव्रत्य (sati-religious) की शिक्षा / उपदेश". अभिगमन तिथि 11 जून 2022.