शारदातनय, नाट्यशास्त्र के आचार्य हैं जिन्होंने 'भावप्रकाशन' नामक संस्कृत ग्रंथ की रचना की। इस ग्रन्थ में कुल दस अधिकार (अध्याय) हैं जिनमें क्रमश: भाव, रसस्वरूप, रसभेद, नायक-नायिका निरूपण, नायिकाभेद, शब्दार्थसम्बन्ध, नाट्येतिहास, दशरूपक, नृत्यभेद एवं नाट्य-प्रयोगों का प्रतिपादन किया गया है। इस ग्रंथ में भोज के 'शृंगारप्रकाश' तथा आचार्य मम्मट द्वारा विरचित 'काव्यप्रकाश' से अनेक उद्धरण मिलते हैं।

भावप्रकाशन में भारतवर्ष के बारे में आचार्य ने कहा है-

देशो भारतवर्षाख्यो नवसाहस्रयोजनः।
आसेतोर् आहिमगिरेर् आयामः प्रकृतितः॥
( भारतवर्ष नाम से प्रसिद्ध देश, सेतु (रामसेतु) से लेकर हिमालय तक ९००० योजन (लम्बा) है। )