शिक्षा म डायग्नोस्टिक टेस्ट
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शिक्षा म डायग्नोस्टिक टेस्ट
शिक्षा म डायग्नोस्टिक टेस्ट (निदानात्मक परीक्षा)
डायग्नोस्टिक टेस्ट शिक्षा के क्षेत्र म एक महत्वपूरक उपाय आय, जेकर उपयोग विद्यार्थी मन के सीखाई म समस्या अऊ कमी पहिचान करे बर करथें। ए परीक्षा के उद्देश्य सिरिफ विद्यार्थी के ज्ञान ला जांचे तक सीमित नइ होथे, बलकि येकर मदद से ये जानय जाथे कि कऊन-कऊन विषय या समझ के हिस्से म बच्चा मन कसमकस करत हवंय। ए परीक्षा खास करके विद्यार्थीयं के कमजोरियं ला पहिचान करे बर तैयार करे जाथे, ताकि शिक्षक उंकर सुधार ला धियान म राखके मदद कर सकंय।
डायग्नोस्टिक टेस्ट के मुख्य मकसद:
1. विद्यार्थी मन के कमजोरियं के पहिचान करना डायग्नोस्टिक टेस्ट से शिक्षक मन ला ये समझे म मदद मिलथे कि छात्र कऊन विषय, अवधारणा या कौशल म जादा दिक्कत करथे। जइसे गणित, विज्ञान या भाषा के कुछ खास हिस्सा, जऊन म बच्चा मन ठीक से समझ नइ पावत हवंय। 2. शिक्षण पद्धति म सुधार करना ए टेस्ट से शिक्षक मन ला ये समझ में आवथे कि उंकर पढ़ाई के तरीका म कऊन हिस्सा बेहतर करे के जरूरत हे। जइसे, अगर विद्यार्थी मन एक ही टॉपिक बार-बार गलती करत हवंय, तो शिक्षक उस टॉपिक ला अलग तरीका से समझा सकत हवंय। 3. विद्यार्थी मन के सीखाई म सुधार करना डायग्नोस्टिक टेस्ट से विद्यार्थीयं के कमजोरियं ला पहिचान के, शिक्षक मन उनला सही दिशा म मदद दे सकथें, ताकि उंकर समझ म सुधार हो सकय। 4. सही शिक्षण सामग्री तैयार करना ए टेस्ट से शिक्षक मन जान पाथे कि कऊन विषय या पढ़ाई के हिस्से म बच्चा मन ला और अभ्यास के जरूरत हे, अउ उहिच से शिक्षण सामग्री तैयार करके उंकर मदद करी जाथे। Black, P., & Wiliam, D. (1998). Assessment and classroom learning. Educational Assessment, 5(1), 7-74. https://doi.org/10.1207/s15326977ea0501_2