शिलप्पादिकारम को 'तमिल साहित्य' के प्रथम महाकाव्य के रूप में जाना जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ है- "नूपुर की कहानी"। इस महाकाव्य की रचना चोल वंश के शासक सेन गुट्टुवन के भाई इलांगो आदिगल ने लगभग ईसा की दूसरी-तीसरी शताब्दी में की थी। 'शिलप्पादिकारम' की सम्पूर्ण कथा नुपूर के चारों ओर घूमती है। इस महाकाव्य के नायक और नायिका 'कोवलन' और 'कण्णगी' हैं। यह महाकाव्य ‘पुहारक्कांडम’, 'मदरैक्कांडम' और 'वंजिक्कांडम' तीन भागों में विभाजित है। इन तीनों भागों में क्रमशः चोल, पाण्ड्य, और चेर राज्यों का वर्णन है। महाकाव्य में कवि ने तत्कालीन तमिल समाज का सजीव चित्र प्रस्तुत करने के साथ-साथ समाज में प्रचलित नृत्यों, व्यवसायों आदि का भी परिचय दिया है।

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