शिवरानी देवी प्रेमचंद कथा-सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जीवन-संगिनी थीं।

जीवन संपादित करें

शिवरानी देवी के पिता का नाम मुंशी देवीप्रसाद था। शिवरानी बाल-विधवा थीं व १९०६ में शिवरानी का विवाह मुंशी प्रेमचंद से हुआ। शिवरानी ने स्वाधीनता आंदोलन में सक्रिय भाग लिया। वे स्वाधीनता के लिए लड़ीं। १९३० में उन्हें २ महीने का कारावास हुआ। उनकी रचनाएं "चाँद" व "हंस" में प्रकाशित हईं हैं।

रचनाएँ संपादित करें

  • प्रेमचंद घर में(१९४४)- प्रेमचंद की जीवनी-८ मई २०२० को जनसत्ता में प्रकाशित लेख में इस जीवनी का एक अंश छपा। उस अंश में अपनी पहली कहानी पर बात करते हुए वे लिखतीं हैं कि- "मेरी पहली 'साहस' नाम की कहानी चाँद में छपी।"[1]

इन्हें भी देखें संपादित करें

संदर्भ संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें

[1]

  1. "प्रेमचंद: बाल विधवा को बनाया था जीवनसाथी, पत्नी के आइडिया पर लिखा करते थे कहानियां". जनसत्ता. मूल से 29 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 मई 2020.