शेल कम्पनी
शेल कंपनियां वे कम्पनियाँ हैं जो प्रायः कागजों पर चलती हैं और पैसे का भौतिक लेनदेन नहीं करती पर मनी लॉन्ड्रिंग का आसान जरिया होती हैं। इन्हें 'मुखौटा कम्पनी' या 'छद्म कम्पनी' भी कह सकते हैं।
शेल कंपनियां का अस्तित्व केवल कागजों पर ही होता है और ये किसी तरह से कोई आधिकारिक कारोबार नहीं करती हैं। ये कंपनियां न्यूनतम पेड अप कैपिटल के साथ काम करती है। इनका डिविडेंड इनकम जीरो होता है। साथ ही टर्नओवर और ऑपरेटिंग इनकम भी बहुत कम होती है। कहा जाता है कि काले धन को सफेद करने के लिए बड़े पैमाने पर शेल कंपनियों का इस्तेमाल किया जाता है।
सन्दर्भ
संपादित करेंइन्हें भी देखें
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संपादित करें- मनी लॉन्ड्रिंग पर कसेगी लगामः शेल कंपनियों पर कार्रवाई के लिए बना टास्क फोर्स
- शेल कंपनियों पर सरकार का वार, ऐसे चलता है ब्लैकमनी को व्हाइट करने का खेल
- ब्लैकमनी के खिलाफ सरकार का ऑपरेशन शुरु, 2300 शेल कंपनियों का खुलासा हुआ
- सर्जिकल स्ट्राइक से कंपनियों में मची खलबली[मृत कड़ियाँ]
- 2.24 लाख फर्जी कंपनियां बंद, नोटबंदी के दौरान किया 17000 करोड़ का लेन-देन[मृत कड़ियाँ] (नवम्बर २०१७)
- शेल कंपनी कथा : चोर दरवाजों को तबाह करना ही होगा (नवम्बर २०१७)