श्यामलाल चतुर्वेदी
श्यामलाल चतुर्वेदी (जन्म १९२६) छत्तीसगढ़ी के साहित्यकार और कवि, पत्रकार हैं। इन्हें वर्ष 2018 में साहित्य के क्षेत्र में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[1]
श्यामलाल चतुर्वेदी | |
---|---|
जन्म |
१९२६ बिलासपुर, छत्तीसगढ़, भारत |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
पेशा | साहित्यकार, कवि, गीतकार |
श्यामलाल चतुर्वेदी का जन्म छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के कोटमी गाँव में हुआ था। वे रायपुर-बिलासपुर करीब 114 किलोमीटर साइकिल से आना-जना करते थे। ये उनकी सादगी थी। वे जनसत्ता और नवभारत टाइम्स के प्रतिनिधि रहे। 1940-41 से लेखन आरंभ किया। शुरूआत हिन्दी में की लेकिन ‘विप्र’ जी की प्रेरणा से छत्तीसगढ़ी में लेखन शुरू किया। चतुर्वेदी शिक्षक भी थे।
उनका कहानी संग्रह ‘भोलवा भोलाराम’ भी प्रकाशित हुआ। वे छत्तीसगढ़ी के गीतकार भी हैं। उनकी रचनाओं में ‘बेटी के बिदा’ प्रसिद्ध रचना है। उन्हें ‘बेटी के बिदा’ के कवि के रुप में लोग पहचानते हैं। बचपन में मां के कारण उनका रुझान लेखन में हुआ। उनकी मां ने उन्हें सुन्दरलाल शर्मा की ‘दानलीला’ रटा दी थी।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ नई दुनिया. "छत्तीसगढ़ के दामोदर गणेश बापट व श्यामलाल चतुर्वेदी को पद्मश्री". मूल से 4 मार्च 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 मार्च 2018.