श्यामवर्ण

गढ़वाल हिमालय में एक पर्वत

श्यामवर्ण भारत के उत्तराखण्ड में गढ़वाल हिमालय का एक पर्वत है। यह श्यामवर्ण ग्लेशियर के ऊपर स्थित है। श्यामवर्ण पर्वत की ऊंचाई 6,135 मीटर (20,128 फीट) है और इसकी प्रमुखता 250 मीटर (820 फीट) . [3] यह उत्तराखंड के भीतर पूरी तरह से स्थित 150वां उच्चतम पर्वत है। नंदा देवी, इस श्रेणी का सबसे ऊँचा पर्वत है। यहसुदर्शन पर्वत 6,507 मीटर (21,348 फीट) से 3.3 किमी पूर्व में स्थित है. सैफ 6,161 मीटर (20,213 फीट) 2.5 किमी पश्चिम दक्षिण पश्चिम मे स्थित है।और यह श्वेतवर्ण 6,340 मीटर (20,801 फीट) से 3 किमी पूर्व दक्षिण पूर्व. यह योगेश्वर 6,678 मीटर (21,909 फीट) के 2.8 किमी दक्षिण में स्थित है। .

श्यामवर्ण
श्यामवर्ण is located in उत्तराखंड
श्यामवर्ण
श्यामवर्ण
Location in Uttarakhand
उच्चतम बिंदु
ऊँचाई6,135 मी॰ (20,128 फीट) [1]
उदग्रता250 मी॰ (820 फीट) [2]
निर्देशांक30°58′34″N 79°07′40″E / 30.97611°N 79.12778°E / 30.97611; 79.12778निर्देशांक: 30°58′34″N 79°07′40″E / 30.97611°N 79.12778°E / 30.97611; 79.12778
भूगोल
स्थानउत्तराखण्ड, भारत
मातृ श्रेणीगढ़वाल हिमालय
आरोहण
प्रथम आरोहणपश्चिम बंगाल के एक आठ सदस्यीय दल ने 26 सितंबर 1985 को श्यामवर्ण पर चढ़ाई की

चढ़ाई का इतिहास

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श्यामवर्ण की पहली चढ़ाई एक त्रासदी मे समाप्त हुई। पर्वतारोही असित कुमार मोइत्रो के नेतृत्व में एक भारतीय आठ सदस्यीय दल ने 26 सितंबर 1985 को श्यामवर्ण पर चढ़ाई की। शिखर से लौटते समय, नेता असित कुमार मोइत्रो फिसल गए और 2000 फीट गिरकर उनकी मृत्यु हो गई। टीम में समीर भट्टाचार्य, मानस बर्धन, नबागोपाल बसाक, रामजन बोस, कृष्णा गांगुली, आशीष रॉय और संजय रॉय शामिल थे। [4]

बॉम्बे से एक भारतीय टीम का नेतृत्व रमाकांत महादिक ने किया था। 20 जून 1989 को सात सदस्यों ने श्यामवर्ण पर चढ़ाई की, यह इस चोटी की दूसरी चढ़ाई थी। [5]

पड़ोसी और सहायक चोटियाँ

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श्यामवर्ण की पड़ोसी या सहायक चोटियाँ:

ग्लेशियर और नदियाँ

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श्यामवर्ण के पश्चिम की ओर श्वेतवर्ण बामक ओर पूर्वी दिशा में श्यामवर्ण बामक ये दोनों ग्लेशियर रक्तवर्ण बमक की सहायक ग्लेशियर हैं जो गंगोत्री ग्लेशियर में मिलती हैं। गंगोत्री ग्लेशियर के मुख से जिसे गोमुख कहा जाता है, भागीरथी नदी निकलती है। यह गंगा नदी की मुख्य सहायक नदियों में से एक हे जो बाद में देवप्रयाग में गंगा नदी की अन्य मुख्य सहायक नदीअलकनंदा नदी में मिलती है और बाद में गंगा बन जाती है। यँहा ग्लेशियर के लिए बामक शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। [6]

यह भी देखें

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  1. "Saife". अभिगमन तिथि 3 July 2020.
  2. "Shyamvarn". PeakVisor (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 4 July 2020.
  3. Kapadia, Harish (1999). Across Peaks & Passes in Garhwal Himalaya (अंग्रेज़ी में). Indus Publishing. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7387-097-2.
  4. "AAC Publications - Asia, India–Garhwal, P6131 Ascent and Tragedy". 28 (60). 1986. अभिगमन तिथि 4 July 2020. Cite journal requires |journal= (मदद)
  5. "AAC Publications - The Mountaineers". 34 (66). 1992. अभिगमन तिथि 4 July 2020. Cite journal requires |journal= (मदद)
  6. "Devprayag | Times of India Travel". timesofindia.indiatimes.com. अभिगमन तिथि 22 May 2020.