श्रीकांत वर्मा

भारतीय कवि

श्रीकांत वर्मा (Shrikant verma) (18 सितम्बर 1931 – 25 मई 1986) का जन्म बिलासपुर छत्तीसगढ़ में हुआ। वह गीतकार, कथाकार तथा समीक्षक के रूप में जाने जाते हैं। राजनीति से भी जुडे थे तथा राज्यसभा के सदस्य रहे। १९५७ में प्रकाशित 'भटका मेघ', १९६७ में प्रकाशित 'मायादर्पण' और 'दिनारम्भ', १९७३ में प्रकाशित 'जलसाघर' और १९८४ में प्रकाशित 'मगध' इनकी काव्य-कृतियाँ हैं। 'मगध' काव्य संग्रह के लिए 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' से सम्मानित हुये। 'झाड़ी' तथा 'संवाद' इनके कहानी-संग्रह है। 'अपोलो का रथ' यात्रा वृत्तान्त है। 'बीसवीं शताब्दी के अंधेरे में' साक्षात्कार ग्रंथ है।[1]

श्रीकांत वर्मा
चित्र:ShreekantVerma.jpg
श्रीकांत वर्मा
जन्मबच्चू (बचपन का नाम)
18 सितम्बर 1931
बिलासपुर छत्तीसगढ़ भारत
मौत25 मई 1986
न्यूयार्क, अमेरिका
पेशाकवि, लेखक
भाषाहिन्दी
राष्ट्रीयताभारतीय
कालआधुनिक काल
विधागद्य और पद्य
विषयकविता, कहानी, समीक्षा
आंदोलनप्रगतिशील आन्दोलन,
उल्लेखनीय कामsमगध

उनकी प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर(bilaspur) तथा रायपुर(raipur) में हुई। नागपुर विश्वविद्यालय से १९५६ में उन्होंने हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की। इसके बाद वह दिल्ली चले गये और वहाँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लगभग एक दशक तक पत्रकार के रूप में कार्य किया। १९६६ से १९७७ तक दिनमान के विशेष संवाददाता रहे। १९७६ में काँग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर राज्य सभा के सदस्य बने। सत्तर के दशक के उत्तरार्ध से अस्सी के दशक के पूर्वार्ध तक पार्टी के प्रवक्ता के रूप में कार्य करते रहे। १९८० में इंदिरा गांधी के राष्ट्रीय चुनाव अभियान के प्रमुख प्रबंधक रहे और १९८४ में राजीव गांधी के परामर्शदाता तथा राजनीतिक विश्लेषक के रूप में कार्य करते रहे। कांग्रेस को अपना "गरीबी हटाओ" का अमर नारा दिया। वह पचास के दशक में उभरने वाले नई कविता आंदोलन के प्रमुख कवियों में से थे।

१९७०-७१ और १९७८ में आयोवा विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित 'अन्तरराष्ट्रीय लेखन कार्यक्रम' में 'विजिटिंग पोएट' के रूप में आमंत्रित।

प्रमुख रचनाएं

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काव्य

भटका मेघ, माया दर्पण, दिनारम्भ, जलसाघर, मगध, गरुड़ किसने देखा है।

कहानी संग्रह

झाड़ी, संवाद, घर, ठंड, अरथी

उपन्यास

दूसरी बार, अश्वत्थ, ब्यूक

आलोचना

जिरह

यात्रा वृत्तान्त

अपोलो का रथ

साक्षात्कार

बीसवीं शताब्दी के अंधेरे मे

कविता संकलन का कार्य

मुक्तिबोध के काव्य संग्रह 'चाँद का मुँह टेढ़ा है' की कविताओं का संकलन[2]

श्रीकांत वर्मा को 1973 में मध्यप्रदेश सरकार का 'तुलसी सम्मान'; 1984 में 'आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी पुरस्कार'; 1981 में 'शिखर सम्मान'; 1984 में कविता और राष्ट्रीय एकता के लिए केरल सरकार का 'कुमारन् आशान' राष्ट्रीय पुरस्कार; 1987 में 'मगध' नामक कविता संग्रह के लिये मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किए गए।

  1. "हिन्दी के कवि श्रीकांत वर्मा". ब्रैंड बिहार.कॉम. मूल से 28 जून 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १६ दिसंबर २००९.
  2. "श्रीकांत वर्मा". प्रतिलिपि. मूल से 10 दिसंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १६ दिसंबर २००९.

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