श्री चक्र
(श्रीयंत्र से अनुप्रेषित)
इस लेख या भाग में मूल शोध या अप्रमाणित दावे हो सकते हैं। कृपया संदर्भ जोड़ कर लेख को सुधारने में मदद करें। अधिक जानकारी के लिए संवाद पृष्ठ देखें। (मार्च 2023) |
श्री चक्र एक यन्त्र है जिसका प्रयोग श्री विद्या में होता है। इसे 'श्री यंत्र', 'नव चक्र' और 'महामेरु' भी कहते हैं। यह सभी यंत्रो में शिरोमणि है और इसे 'यंत्रराज' कहा जाता है। वस्तुतः यह एक एक जटिल ज्यामितीय आकृति है। इस यंत्र की अधिष्ठात्री देवी भगवती त्रिपुर सुंदरी है जो माँ आदि परा शक्ति/भगवती जगदम्बा का एक महाविद्या रूप है। श्री यंत्र की स्थापना और पूजा से हर सिद्धि की प्राप्ति होती है।। श्री यंत्र की पूजा का नवरात्रि के दिनों मे विशेष महत्व होता है।
श्री यंत्र के केन्द्र में एक बिंदु है। इस बिंदु के चारों ओर 9 अंतर्ग्रथित त्रिभुज हैं जो नवशक्ति के प्रतीक हैं। इन नौ त्रिभुजों के अन्तःग्रथित होने से कुल ४३ लघु त्रिभुज बनते हैं।
श्री चक्र से युक्त कुछ मन्दिर
संपादित करें- श्री यंत्र के केन्द्र में एक बिंदु है। इस बिंदु के चारों ओर 9 अंतर्ग्रथित त्रिभुज हैं जो नवशक्ति के प्रतीक हैं। इन नौ त्रिभुजों के अन्तःग्रथित होने से कुल ४३ लघु त्रिभुज बनते हैं।
- कलिकम्बल मंदिर, चेन्नै
- कामाक्षी मंदिर, मंगदु, चेन्नै
- श्री काली मंदिर, जयपुर
- निमिशम्बा मंदिर, श्रीरंगपत्तन, मैसूर
- माँ हरसिद्धि शक्ति पीठ (उज्जैन)
इन्हें भी देखें
संपादित करें- मेरु प्रस्तार श्री यंत्र स्थापित मन्दिर आद्या शक्ति जया पीठ भद्रकाली बटुकनाथ मन्दिर सोरो जिला कासगंज उत्तर प्रदेश यह श्री यंत्र आदि गुरू शंकराचार्य जी व्दारा स्थापित है