षटतिला एकादशी
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हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। पद्मपुराण में एकादशी का बहुत ही महात्मय बताया गया है एवं उसकी विधि विधान का भी उल्लेख किया गया है। पद्मपुराण के ही एक अंश को लेकर हम षट्तिला एकादशी का श्रवण और ध्यान करते हैं।[1]
षटतिला एकादशी | |
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आधिकारिक नाम | षटतिला एकादशी व्रत |
अनुयायी | हिन्दू, भारतीय, भारतीय प्रवासी |
प्रकार | Hindu |
उद्देश्य | सर्वकामना पूर्ति |
तिथि | माघ कृष्ण एकादशी |
कथा
संपादित करेंनारद मुनि त्रिलोक भ्रमण करते हुए भगवान विष्णु के धाम वैकुण्ठ पहुंचे। वहां पहुंच कर उन्होंने वैकुण्ठ पति को प्रणाम करके उनसे अपनी जिज्ञास व्यक्त करते हुए प्रश्न किया कि प्रभु षट्तिला एकादशी की क्या कथा है और इस एकादशी को करने से कैसा पुण्य मिलता है।[2]
देवर्षि द्वारा विनित भाव से इस प्रकार प्रश्न किये जाने पर लक्ष्मीपति भगवान विष्णु ने कहा प्राचीन काल में पृथ्वी पर एक ब्राह्मणी रहती थी। ब्राह्मणी मुझमें बहुत ही श्रद्धा एवं भक्ति रखती थी। यह स्त्री मेरे निमित्त सभी व्रत रखती थी। एक बार इसने एक महीने तक व्रत रखकर मेरी आराधना की। व्रत के प्रभाव से स्त्री का शरीर तो शुद्ध तो हो गया परंतु यह स्त्री कभी ब्राह्मण एवं देवताओं के निमित्त अन्न दान नहीं करती थी अत: मैंने सोचा कि यह स्त्री बैकुण्ड में रहकर भी अतृप्त रहेगी अत: मैं स्वयं एक दिन भिक्षा लेने पहुंच गया।
स्त्री से जब मैंने भिक्षा की याचना की तब उसने एक मिट्टी का पिण्ड उठाकर मेरे हाथों पर रख दिया। मैं वह पिण्ड लेकर अपने धाम लौट आया। कुछ दिनों पश्चात वह स्त्री भी देह त्याग कर मेरे लोक में आ गयी। यहां उसे एक कुटिया और आम का पेड़ मिला। खाली कुटिया को देखकर वह स्त्री घबराकर मेरे समीप आई और बोली की मैं तो धर्मपरायण हूं फिर मुझे खाली कुटिया क्यों मिली है। तब मैंने उसे बताया कि यह अन्नदान नहीं करने तथा मुझे मिट्टी का पिण्ड देने से हुआ है।
मैंने फिर उस स्त्री से बताया कि जब देव कन्याएं आपसे मिलने आएं तब आप अपना द्वार तभी खोलना जब वे आपको षट्तिला एकादशी के व्रत का विधान बताएं। स्त्री ने ऐसा ही किया और जिन विधियों को देवकन्या ने कहा था उस विधि से ब्रह्मणी ने षट्तिला एकादशी का व्रत किया। व्रत के प्रभाव से उसकी कुटिया अन्न धन से भर गयी। इसलिए हे नारद इस बात को सत्य मानों कि जो व्यक्ति इस एकादशी का व्रत करता है और तिल एवं अन्न दान करता है उसे मुक्ति और वैभव की प्राप्ति होती है, हलाकि हमारे शास्त्रों में कहीं भी व्रत करने का प्रावधान नहीं है।[3]
विधान
संपादित करेंThis section is written like a manual or guidebook. (अप्रैल 2016) |
व्रत विधान के विषय में जो पुलस्य ऋषि ने दलभ्य ऋषि को बताया वह यहां प्रस्तुत है। ऋषि कहते हैं माघ का महीना पवित्र और पावन होता है इस मास में व्रत और तप का बड़ा ही महत्व है। इस माह में कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को षट्तिला कहते हैं। षट्तिला एकादशी के दिन मनुष्य को भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखना चाहिए। व्रत करने वालों को गंध, पुष्प, धूप दीप, ताम्बूल सहित विष्णु भगवान की षोड्षोपचार से पूजन करना चाहिए। उड़द और तिल मिश्रित खिचड़ी बनाकर भगवान को भोग लगाना चाहिए। रात्रि के समय तिल से 108 बार ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय स्वाहा इस मंत्र से हवन करना चाहिए।[4]
फल
संपादित करेंइस व्रत में तिल का छ: रूप में दान करना उत्तम फलदायी होता है।[क्या ये तथ्य है या केवल एक राय है?] जो व्यक्ति जितने रूपों में तिल का दान करता है उसे उतने हज़ार वर्ष स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है।[क्या ये तथ्य है या केवल एक राय है?] ऋषिवर ने जिन 6 प्रकार के तिल दान की बात कही है वह इस प्रकार हैं 1. तिल मिश्रित जल से स्नान 2. तिल का उबटन 3. तिल का तिलक 4. तिल मिश्रित जल का सेवन 5. तिल का भोजन 6. तिल से हवन। इन चीजों का स्वयं भी प्रयोग करें और किसी श्रेष्ठ ब्राह्मण को बुलाकर उन्हें भी इन चीज़ों का दान दें।
इस प्रकार जो षट्तिला एकादशी का व्रत रखते हैं भगवान उनको अज्ञानता पूर्वक किये गये सभी अपराधों से मुक्त कर देते हैं और पुण्य दान देकर स्वर्ग में स्थान प्रदान करते हैं।[क्या ये तथ्य है या केवल एक राय है?] इस कथन को सत्य मानकर जो भग्वत् भक्त यह व्रत करता हैं उनका निश्चित ही प्रभु उद्धार करते हैं।[क्या ये तथ्य है या केवल एक राय है?]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंShattila Ekadashi 2024: भगवान विष्णु को षटतिला एकादशी पर प्रसन्न करने के लिए इस पूजा के तरीकों को जानें।सन्दर्भ
संपादित करेंमाघ कृष्ण की षट्तिला एकादशी (Magh Krishna ki Shattila Ekaadashee)
- ↑ नवभारतटाइम्स.कॉम (2021-02-06). "Shattila Ekadashi 2021 : माघ में मास में षटतिला एकादशी का महत्व, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त". नवभारत टाइम्स. अभिगमन तिथि 2021-02-07.
- ↑ "Shattila Ekadashi 2021: षटतिला एकादशी आज, जानें व्रत के नियम और कथा". आज तक. अभिगमन तिथि 2021-02-07.
- ↑ "Shattila Ekadashi 2021 [Hindi]: क्या षटतिला एकादशीन का Vrat करना उचित है?". S A NEWS (अंग्रेज़ी में). 2021-02-07. अभिगमन तिथि 2021-02-07.
- ↑ "Shattila Ekadashi Vrat 2021 जानें विष्णुजी की कृपा प्राप्त करने के लिए तिल का 6 प्रकार से कैसे करें उपयोग". Patrika News (hindi में). अभिगमन तिथि 2021-02-07.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)