संगीत पारिजात

संगीत पारिजात में उल्लेखित शुद्ध स्वर सप्तक, वर्तमान समय के काफी थाट के समान है।

संगीत पारिजात संगीत का एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है जिसकी रचना पण्डित अहोबल ने 17वीं शताब्दी में की थी। यह पुस्तक 1650 ई0 में लिखी गई। दीनानाथ मिश्र जी ने फ़ारसी भाष में इसका अनुवाद किया। इसमें सबसे पहले वीणा के तार पर बारह स्वरों की स्थापना की गई।संगीत परिजात में मिलने वाला शुद्ध सप्तक वर्तमान समय के काफी राग के समान था।

लोचन के गृामों का अध्ययन करके इसकी रचना की। इसमें 125 रागों का वर्णन है।

सन्दर्भ संपादित करें

इन्हें भी देखें संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें

  • Sangeet Parijat, translated in Hindi by Kalind Ji, published by SANGEET KARALAYA-HATHRAS