संज्ञा और उसके भेद

व्याकरण

किसी व्यक्ति, वस्तु ,स्थान आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं।

जैसे - पशु (जाति), सुन्दरता (गुण), व्जैसे (भाव), मोहन (व्यक्ति), दिल्ली (स्थान), मारना (क्रिया)।

यह पाँच प्रकार की होती है ―

1. व्यक्तिवाचक संज्ञा।

2. जातिवाचक संज्ञा।

3. समूहवाचक संज्ञा।

4. द्रव्यवाचक संज्ञा।

5. भाववाचक संज्ञा।

व्यक्तिवाचक संज्ञा

जिन शब्दों से किसी विशेष व्यक्ति, स्थान अथवा वस्तु के नाम का बोध हो, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे - जयपुर, दिल्ली, भारत, रामायण, अमेरिका, राम, श्याम, अफ्रीका इत्यादि।

जातिवाचक संज्ञा

जिस शब्द से किसी प्राणी या वस्तु की समस्त जाति का बोध होता है,उन शब्दों को जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे - घोड़ा, फूल, मनुष्य, वृक्ष आदि।

समूहवाचक संज्ञा

जब किसी संज्ञा शब्द से व्यक्ति या वस्तु के समूह का बोध होता है तब उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे- परिवार, कक्षा, सेना, भीड़, पुलिस आदि।

द्रव्यवाचक संज्ञा

जब किसी संज्ञा शब्द से किसी द्रव्य का बोध हो तो उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे - पानी, लोहा, तेल, घी, दाल आदि।

भाववाचक संज्ञा

जिस संज्ञा शब्द से किसी गुण , दोष , भाव , अथवा  दशा , का बोध होता हा , उसे भाववाचक संज्ञा कहते है।

जैसे - बचपन, जवानी, बुढ़ापा, भला , महता, सुन्दरता, मदुर्ता ,सत्य, कोमलता  आदि।