संवेदनशील आंत्र संलक्षण (इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम)

संवेदनशील आंत्र संलक्षण (आईबीएस (IBS) या संस्तंभी बृहदान्त्र) एक प्रतिरोधी निदान है। यह किसी भी पता लगाने योग्य कार्बनिक कारण की अनुपस्थिति में चिरकारी उदर संबंधी दर्द, बेचैनी, सूजन और आंत्र स्वभाव के परिवर्तन की विशेषता वाला के एक कार्यात्मक आंत्र विकार है। कुछ मामलों में, आंत्र गति के द्वारा लक्षणों में राहत हैं। दस्त या कब्ज प्रबल हो सकते हैं, या वे वैकल्पिक (क्रमशः IBS-D, IBS-सी या IBS-ए के रूप में वर्गीकृत) हो सकते हैं। आई.बी.एस.(IBS), संक्रमण {पश्चवर्ती -संक्रामक, आई.बी.एस.(IBS)-पी आई}, तनावपूर्ण जीवन की एक घटना या बिना किसी अन्य चिकित्सा संकेतकों की परिपक्वता की शुरुआत, के बाद शुरू हो सकता है।

संवेदनशील आंत्र संलक्षण
वर्गीकरण एवं बाह्य साधन
आईसीडी-१० K58.
आईसीडी- 564.1
डिज़ीज़-डीबी 30638
मेडलाइन प्लस 000246
ईमेडिसिन med/1190 
एम.ईएसएच D043183

यद्यपि आई.बी.एस.(IBS) का कोई उपचार नहीं है, दवा, आहार समायोजन और मनोवैज्ञानिक हस्तक्षेप सहित कुछ उपचार हैं जो लक्षणऑं से राहत के लिए प्रयास करते हैं। रोगी की शिक्षा और अच्छा चिकित्सक-रोगी रिश्ता भी महत्वपूर्ण हैं।

सीलिएक रोग, फ्रक्टोज़ मलेब्सोर्पशन (Fructose malabsorption) हल्के संक्रमण, गिअर्डिअसिस (giardiasis) जैसे परजीवी संक्रमण, कई भड़काऊ आंत्र रोग, कार्यात्मक चिरकारी कब्ज, चिरकारी कार्यात्मक पेट दर्द सहित कई स्थितियों आई.बी.एस.(IBS) के रूप में प्रस्तुत हो सकती हैं, आई.बी.एस.(IBS) में नियमित नैदानिक परीक्षणों कोई असामान्यताएं प्राप्त नहीं होतीं, हालांकि गुब्बारा साँस परीक्षण जैसे कुछ उद्दीपनों के प्रति आँतें और अधिक संवेदनशील हो सकती है। आई.बी.एस.(IBS) का सटीक कारण अज्ञात है। सबसे सामान्य सिद्धांत है कि आई.बी.एस. जठरांत्र पथ और मस्तिष्क के बीच में संपर्क का एक विकार है, हालांकि गट-फ्लोरा (gut flora) या प्रतिरक्षा प्रणाली में असामान्यताएं भी हो सकती हैं।

आई.बी.एस.(IBS) अधिकांश रोगियों में अधिक गंभीर परिस्थितियों का नेतृत्व नहीं करता है। परन्तु यह चिरकारी दर्द, थकान व अन्य लक्षणों का स्रोत है और ये रोगी की चिकित्सीय लागत को बढाता है और कार्य से अनुपस्थिती मे योगदान करता है। शोधकर्ताओं ने सूचित किया है कि आई.बी.एस.(IBS) के उच्च व्याप्ति, लागत में वृद्धि के साथ संयोजन करके एक अधिक सामाजिक लागत वाली बीमारी उत्पन्न करती हैं। यह भी एक चिरकारी बीमारी के रूप में मानी गयी है और नाटकीय रूप से एक पीड़ित के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है।

वर्गीकरण (Classification)

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आई.बी.एस.(IBS) को या तो दस्त-प्रभावी ((आई.बी.एस- डी).(IBS-D)), कब्ज-प्रभावी ((आई.बी.एस- सी).(IBS-C)) या बारी-बारी से मल पैटर्न सहित IBS (IBS-ए या प्रमुख-दर्द) के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। कुछ व्यक्तियों में, IBS की शुरुआत तीव्र हो सकती है और एक संक्रामक बीमारी के बाद विकसित हो सकती है इसे निम्नलिखित दो या अधिक की विशेषताओं द्वारा वर्गीकृत किया जाता है बुखार, उल्टी, दस्त या सकारात्मक मल विकास. फलस्वरूप संक्रमण के बाद का यह संलक्षण (सिंड्रोम), "पोस्ट संक्रामक- आई.बी.एस. (IBS)" (आई.बी.एस-पीआई (IBS-. PI)) कहा गया है।

आई.बी.एस. (IBS) के प्राथमिक लक्षण संयुक्त रूप से पेट में दर्द या बेचैनी के साथ लगातार.दस्त या कब्ज, तथा आंत्र की आदतों में परिवर्तन हैं। आंत्र गतियों, अधूरी निकासी (टेनेस्मस) की भावना, सूजन या उदर फैलावट की जरूरत भी महसूस हो सकती है। सामान्यतः आई.बी.एस. (IBS) से ग्रसित् लोगों में गस्ट्रोइसोफ्लेजियल (gastroesophageal) भाटा, जेनिटूरिनरी (genitourinary) प्रणाली, क्रोनिक थकान संलक्षण (सिंड्रोम), फाइब्रोमैइअल्जिआ (Fibromyalgia), सिरदर्द, पीठ में दर्द और मनोरोगों.के लक्षण जैसे अवसाद और चिंता से संबंधित लक्षण दूसरों से अधिक पाये जाते हैं।

आई.बी.एस. (IBS) का कारण अज्ञात है, लेकिन कई अवधारणाएं प्रस्तावित की गई हैं। तीव्र जठरांत्र संबंधी संक्रमण के बाद IBS विकसित होने का जोखिम छह गुना बढ़ जाता है। पश्चवर्ती-संक्रमण हेतु कम उम्र, लंबे समय तक बुखार, चिंता और अवसाद अगले जोखिम कारक हैं। मस्तिष्क-आंत "अक्ष" की भूमिका को समझानेवाले प्रकाशन 1990 के दशक में, जैसे कि 1993 में नैदानिक जठरांत्र विज्ञान जर्नल में छ्पा, आई.बी.एस. में कोलिनर्जिक (cholinergic) उत्तेजना और तनाव के प्रति दिमाग-आंत की प्रतिक्रिया के आधिकारिक अध्ययन प्रकाशित हुए. 1997 में आंत पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में सुझाव दिया गया की आई.बी.एस., "दिमाग-आंत अक्ष की डीरेलिंग (derailing)" के साथ सम्बद्ध था। मनोवैज्ञानिक कारक IBS के एटियोलजि (etiology) में महत्वपूर्ण हो सकते हैं।

रोगक्षम प्रतिक्रिया

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1990 के दशक के अन्त से, अनुसंधान प्रकाशनों में आई.बी.एस. रोगियों से लिये गये ऊतकों की बायोप्सी तथा सीरम नमूनों में उपस्थित विशिष्ट जैव रासायनिक परिवर्तनों को पहचाना जाना शुरू हो गया था। इन अध्ययनों ने आई.बी.एस. रोगियों से लिये गये ऊतकों में साइटोकाइनन (cytokine) और स्रावी उत्पादों की पहचान की. आई.बी.एस. रोगियों में पहचाने गये साइटोकिन्स सूजन उत्पन्न करते हैं और शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के साथ जुड़े होते हैं।

सक्रिय संक्रमण

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चित्र:Wiki ibs cause figures.png
21वीं सदी में औद्योगिक देशों (संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा) में प्रोटोजोअल संक्रमण का प्रचलन[1][2]

आईबीएस के समर्थन में एक अनुसंधान किया जा रहा है जो एक ऐसे संक्रिय संक्रमण की वजह से होता है जिसका अब तक पता नहीं लगाया गया है। सबसे हाल ही में, एक अध्ययन में पाया गया कि, आई.बी.एस. मरीजों के लिए रिफैक्सिमिन (Rifaximin) एंटीबायोटिक, निरंतर राहत प्रदान करता है। जबकि कुछ शोधकर्ताओं ने इसे सबूत के रूप देखा कि आई.बी.एस. एक अनदेखे ऐजेन्ट से सम्बन्धित है, दूसरों का विश्वास है कि आई.बी.एस. रोगी आंत्र फ्लोरा (intestinal flora) की अतिवृद्धि से पीड़ित हैं और एंटीबायोटिक अतिवृद्धि (जो छोटी इन्टेस्टाइनल जीवाणुज अतिवृद्धि रूप में जाना जाता है) को कम करने के लिये प्रभावी है। अन्य शोधकर्ताओं ने आई.बी.एस. के कारण के रूप में एक अपरिचित प्रोटोजोआ संक्रमण पर ध्यान केंद्रित किया को है जैसे कि कुछ प्रोटोजोअल (protozoal) संक्रमण IBS रोगियों में नित्य उत्पन्न होते रह्ते हैं। दो प्रोटोजोआ की जांच की गयी जो औद्योगिक देशों में उच्च व्याप्ति रखते हैं और आंत्र को संक्रमित करते हैं, लेकिन उनके बारे में कम ही जाना गया है क्योंकी वे रोगज़नक़ हाल ही में उभरे हैं।

ब्लास्टोसाइस्टिस (Blastocystis) एक एकल कोशीय जीव है जिसके बारे में बताया गया है की वह रोगियों में उदर दर्द, कब्ज़ और दस्त के लक्षण उतपन्न करते हैं यद्यपि कुछ चिकित्सकों ने इन रिपोर्टों को चुनौती भी दी. विभिन्न देशों में शोध अस्पतालों में किए गए अध्ययनों से आईबीएस रोगियों में उच्च ब्लास्टोसाइस्टिस (Blastocystis) संक्रमण दर का पता चला है जिसमें से 38% लन्दन स्कूल ऑफ़ हाइजीन एण्ड ट्रॉपिकल मेडिसिन से,[3] 47% पाकिस्तान के आगा खान विश्वविद्यालय के जठरांत्र विज्ञान विभाग से[4] और 18.1% इटली के ऐन्कोना विश्वविद्यालय के इंस्टिट्यूट ऑफ़ डिज़ीज़ेज़ एण्ड पब्लिक हेल्थ से[5] होने की खबर मिली थी। सभी तीन समूहों की रिपोर्टें, गैर आई.बी.एस. (IBS) रोगियों में ब्लास्टोसाइस्टिस (Blastocystis) की लगभग 7% व्यापकता का संकेत देती हैं। शोधकर्ताओं ने उल्लेख किया है कि नैदानिक निदान, संक्रमण की पहचान करने के लिए विफल रह्ते हैं और ब्लास्टोसाइस्टिस (Blastocystis) आम प्रोटोजोआ विरोधी इलाज के लिये प्रतिक्रिया नहीं देता है।

डाएंटमीबा फ़्राजिलिस (Dientamoeba fragilis), एक एकल कोशीय जीव है जो दस्त और पेट दर्द पैदा करता है। विकसित देशों में अध्ययन में संक्रमण की उच्च घटनाओं की सूचना दी है और निम्नलिखित एंटीबायोटिक उपचार के अनुसरण से रोगियों के लक्षणों का समाधान हो जाता है। आई.बी.एस (IBS) की तरह लक्षणों वाले रोगियों, जो फ़्राजिलिस डाएंटमीबा (fragilis Dientamoeba) के द्वारा संक्रमित पाए गए थे और उपचार का अनुसरण करने पर लक्षणों का समाधान अनुभव किया था, के एक बड़े समूह पर किये गये एक अध्ययन में सूचित किया गया। शोधकर्ताओं के अनुसार चिकित्सकीय दृष्टि से इस्तेमाल किए जाने वाले तारिकों से डाएंटमीबा फ़्राजिलिस (Dientamoeba fragilis) के कुछ संक्रमणों का पता लगाने में कामयाबी नहीं मिल सकती है। यह आई.बी.एस. (IBS) रहित लोगों में भी मिला है।

कोई विशिष्ट प्रयोगशाला और इमेजिंग परीक्षण है नहीं है, जिससे कि संवेदनशील आंत्र संलक्षण का निदान किया जा सकता है। आई.बी.एस. के निदान में आई.बी.एस. की तरह लक्षणों को उत्पन्न करने वाली परिस्थितियों को निकालना और फिर रोगी के लक्षणों को वर्गीकृत करके एक प्रक्रिया का अनुसरण करना शामिल है। सभी रोगियों के लिए संवेदनशील आंत्र संलक्षण (सिंड्रोम) का निदान करने से पहले बाहर परजीवी संक्रमण, लैक्टोज असहिष्णुता, छोटे इन्टेस्टाइनल जीवाणुज अतिवृद्धि और सीलिएक रोग समाप्त करने की सिफारिश की गयी है। 50 साल से अधिक आयु के रोगियों के लिये कोलेनोस्कोपी (colonoscopy) स्क्रीनिंग.से गुजरने की अनुशंसा की जाती है।

[3]विभेदक निदान

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क्योंकि आई.बी.एस. की तरह लक्षणों वाले दस्तों के बहुत से कारण होते हैं, अतः इन लक्षणों को अन्य लक्षणों से अलग करने के लिये अमेरिका की जठरांत्र विज्ञान संबंधी संघ ने किये जाने वाले परीक्षणों के लिए दिशा निर्देशों का सेट एक प्रकाशित किया। इन में जठरांत्र का संक्रमण, लैक्टोज असहिष्णुता और सीलिएक रोग शामिल हैं। अनुसंधान ने सुझाव दिया है कि इन दिशा निर्देशों का हमेशा पालन नहीं किया जाता है। एक बार जब अन्य कारणों में बाहर कर देने पर, आई.बी.एस. का निदान नैदानिक एल्गोरिथ्म का उपयोग करके किया जाता है। अच्छी तरह से विख्यात एल्गोरिथ्म में मैनिंग मानदंड, अप्रचलित रोम प्रथम और द्वितीय मानदंड, क्रुइस मानदंड शामिल हैं और अध्ययनों में उनकी विश्वसनीयता की तुलना की गयी है। हाल ही में रोम III प्रक्रिया का प्रकाशन 2006 में किया गया था। चिकित्सक इन दिशा निर्देशों में से एक का उपयोग करें चुन सकते हैं या भरोसा करने के लिए साधारणतः अतीत में अपने रोगियों के साथ वास्तविक अनुभवों को चुन सकते हैं। एल्गोरिथ्म में, आई.बी.एस. जैसे अन्य रोगों के रोगनिदान के खिलाफ रक्षा करने के लिए अतिरिक्त परीक्षणों.को शामिल किया जा सकता है जैसे "लाल झंड़े" के लक्षणों में वजन घटने, जठरांत्र संबंधी रक्तस्राव, खून की कमी, या रात्रिचर के, लक्षण शामिल हो सकते हैं। लेकिन, शोधकर्ताओं ने उल्लेख किया कि, "लाल झंड़े" की शर्तें, निदान की सटीकता के लिए हमेशा योगदान नहीं करतीं उदाहरण 31% IBS के रोगियों के मल में, संभवतः बवासीर संबंधी रक्त स्त्राव् से, खून है।

नैदानिक कलन विधि से जिस नाम की पहचान होती है उसका इस्तेमाल रोगी की हालत को बताने के लिए किया जा सकता है जो दस्त, पेट दर्द और कब्ज जैसे लक्षणों के संयोजन पर आधारित होता है। उदाहरण के लिए, बयान" लौटने वाले यात्रियों के 50% में कार्यात्मक दस्त विकसित थे, जबकि 25% आई.बी.एस. विकसित था” का मतलब है कि आधे यात्रियों दस्त थे, जबकि एक चौथाई को पेट दर्द के साथ दस्त थे। जबकि कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि इस वर्गीकरण प्रणाली से चिकित्सकोंको को IBS समझने में मदद मिलेगी, दूसरों ने प्रणाली के मूल्य पर सवाल उठाया है और सुझाव दिया की सभी आई.बी.एस रोगीयों मे समान अंतर्निहित रोग, परन्तु विभिन्न लक्षणों के साथ, है। इस दिशा में हाल ही में अध्ययन, हुआ है जो दिखाता है कि कब्ज और / या दस्त अंतर्निहित स्थिति के भिन्न भिन्न अभिव्यक्तियाँ प्रतीत होती हैं जो कि बृहदान्त्र की गुहिका, जिसमे द्रव्य भरा होता है, में विष्ठा संबंधी तत्वों को रोके रखने की शक्ति का निर्माण करता है। बृहदान्त्र पारगमन समय और विष्ठा संबंधी वितरण के लिए पेट के एक्स - रे का विश्लेषण किया गया, जिसे महत्वपूर्ण रूप से सूजन और पेट दर्द के साथ सहसंबद्ध किया गया। इस प्रकार के रोगियों के एक समूह को नियंत्रण की तुलना में बढ़े हुए विष्ठा संबंधी लदान के साथ पहचाना गया, परन्तु बृहदान्त्र का पारगमन समय नियंत्रण के बराबर या कम रहता है। यह सुझाव है कि मलत्याग के नमूने बृहदान्त्र में मल की मात्रा को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं और यह छिपा हुआ कब्ज कहलाता है। यह तथ्य बैक्टीरिया की अतिवृद्धि से जोड़ा जा सकता है।

गलत निदान (Misdiagnosis)

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प्रकाशित अनुसंधान में देखा गया है कि कुछ गरीब रोगीयों में दस्तों के उपचार योग्य कारणों के परिणामों की वजह से आई.बी.एस. के रूप में गलत निदान हो रहा है। जिसके सामान्य उदाहरण में संक्रामक रोग, सीलिएक रोग, हेलिकोबेक्टर पायीलोरी रोग, परजीवी शामिल हैं।

विशेष रूप से सीलिएक रोग का अक्सर आई.बी.एस के रूप में गलत निदान होता है। जठरांत्र विज्ञान का अमेरिकी कॉलेज अनुशंसा करता है कि आई.बी.एस लक्षणों के के सभी रोगियों का सीलिएक रोग के लिए परीक्षण किया जाये. शामक-निद्राजनक दवाओं, विशेष रूप से बेंज़ोडाय्ज़िपाइंस (बेन्ज़ोदिअज़ेपिनेस), के चिरकारी उपयोग से संवेदनशील आंत्र के लक्षण की तरहलक्षण उत्पन्न हो सकते हैं जो संवेदनशील आंत्र के गलत निदान के लिए अग्रसर कर सकते है|

कोमोर्बिडिटीस (Comorbidities)

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शोधकर्ताओं ने अनेकों चिकित्सीय अवस्थाओं या कोमोर्बिडिटीस (Comorbidities) को पह्चाना हैं जो आई.बी.एस (IBS) के साथ निदान किये गये रोगियों में अपेक्षाकृत अधिक आवृत्ति में दिखाई देती हैं।

सिरदर्द, फाइब्रोमायल्जिआ (Fibromyalgia), क्रोनिक थकान संलक्षण और अवसाद IBS से ग्रसित 97,593 लोगों के एक अध्ययन में कोमोर्बिडिटीस (Comorbidities) को सिरदर्द, फाइब्रोमायल्जिआ (फाइब्रोमायल्जिआ (Fibromyalgia), क्रोनिक थकान संलक्षण और अवसाद के रूप में पहचाना गया। एक व्यवस्थित की समीक्षा में पाया गया कि क्रोनिक थकान संलक्षण वाले 51% रोगियों और 49% फाइब्रोमायल्जिआ (Fibromyalgia) रोगियों में IBS उपस्थित पाया गया और IBS के रोगियों में से 94% में मनोरोग विकार पाया गया था।
आंत्र सूजन रोग (आई.बी.डी.): कुछ शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि IBS एक प्रकार की निम्न श्रेणी का आंत्र सूजन रोग.है। शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि इब्स और आई.बी.डी (IBD) आपस में सम्बन्धित रोग हैं, ज्ञात रहे कि आई.बी.डी (IBD) ग्रसित रोगी, जिस समय उनका आई.बी.डी (IBD) सुधार में होता है, आई.बी.एस.(IBS) जैसे लक्षणों को अनुभव करते हैं। 3 साल के एक अध्ययन में पाया गया कि अध्ययन के दौरान निदान किये गये IBS रोगी, निदान किये गये आई.बी.डी (IBD) रोगियों से 16.3गुना अधिक थे। सूजन के साथ जुड़े सीरम मार्कर भी IBS के रोगियों में पाये गये हैं (कारणों को देखें).
पेट की सर्जरी: एक हाल ही (2008) में पाया गया कि आई.बी.एस (IBS) रोगीयों में अनावश्यक कोलेसिस्टेक्टामी (cholecystectomy)(गाल ब्लैडर हटाने हेतु शल्य चिकित्सा) का खतरा बढा हुआ है पित्ताश्य की पथरी के बढे हुये खतरे के कारण नहीं बल्कि पेट में दर्द, पित्ताश्य की पथरी के प्रति जागरूकता और अनुपयुक्त शल्य सुझावों के कारण है। 2005 के एक अध्ययन में उल्लेख है की आई.बी.एस (IBS) रोगियों पेट और श्रोणि की शल्य चिकित्सा से गुज़रने की सम्भाव्ना 87% अधिक है और पित्ताशय की शल्य चिकित्सा से गुज़रने की सम्भावना 3 गुना अधिक हैं। जठरांत्र विज्ञान में प्रकाशित एक अध्ययन में समान निष्कर्ष प्राप्त हुए और यह भी नोट किया गया कि आई.बी.एस (IBS) रोगियों में गर्भाशयोच्छेदन से दो बार गुज़रने की सम्भावना थी।
गर्भकला-अस्थानता (Endometriosis):एक अध्ययन ने माइग्रेन, सिर दर्द, आई.बी.एस (IBS) और गर्भकला-अस्थानता के बीच एक महत्वपूर्ण सांख्यिकीय कड़ी का उल्लेख किया।
अन्य चिरकारी विकार: अन्तरालीय मूत्राशय शोथ (इन्टर्स्टिशल सिस्टाइटिस), अन्य चिरकारी दर्द संलक्षण जैसे कि संवेदनशील आंत्र संलक्षण (सिंड्रोम) या फाइब्रोमायल्जिआ (Fibromyalgia) से सम्बद्ध हो सकता है। इन संलक्षणओं के मध्य सम्पर्क सूत्र अज्ञात हैं।

ऐसे कई इलाजों का पता चला है जो तंतु, आक्षेप नाशक और पुदीने के तेल सहित कूटभेषज (प्लेसीबो) से काफी बेहतर है।

आई.बी.एस (IBS) से ग्रसित कुछ रोगीयों में भोजन केप्रति असहिष्णुता की संभावना रहती है। 2007 में नियामक आहार की अनुशंसा करने के लिये पर्याप्त सशक्त साक्ष्य नहीं थे।

आई.बी.एस (IBS) के लक्षणों में सुधार करने के लिये बहुत से अलग अलग आहार संशोधनों का प्रयास किया गया किया है। कुछ निश्चित उप आबादी में प्रभावकारी हैं। जैसे कि लैक्टोज असहिष्णुता और आई.बी.एस (IBS) में कुछ समान लक्षण होटल हैं बहुधा एक लैक्टोज मुक्त आहार के परीक्षण की अनुशंसा की जाती है। आई.बी.एस (IBS) और फ्रक्टोज़ (fructose) मैलब्सोर्प्शन (malabsorption) के रोगियों में एक खुराक निर्भर तरीके से फ्रक्टोज़ (fructose) और फ्रुक्टान् (fructan) नियामक आहार के सेवन से लक्षणों का सफलतापूर्वक उपचार दिखायी दिया है।

जबकि बहुत से आई.बी.एस (IBS) रोगियों का विश्वास है कि वे कुछ रूपों में आहार असहिष्णुता रखते हैं, आई.बी.एस (IBS) में भोजन की संवेदनशीलता की भविष्यवाणी करने के लिये परिक्षणों का प्रयास निराशाजनक रहा. एक अध्ययन ने उल्लेख किया है कि एक आईजीजी रोग-प्रतिकारक (IgG antibody) परिक्षण आई.बी.एस (IBS) रोगियों में भोजन की संवेदनशीलता को निर्धारित करने में प्रभावकारी रहा था, आहार उन्मूलन वाले रोगियों ने छलवा आहार वाले रोगियों की तुलना में लक्षणों में 10% सेअधिक की कमी अनुभव की. आईजीजी परीक्षण की अनुशंसा कर सकने से पूर्व और अधिक आंकड़ों की आवश्यकता है।

ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि भोजन का पाचन या पोषक तत्वों का अवशोषण की भिन्न दरें आई.बी.एस (IBS) ग्रसित और बिना आई.बी.एस (IBS) ग्रसित लोगों में समस्याकारी हैं। यद्यपि खाने या पीने के वास्तविक कार्य करने पर गैस्ट्रोकालिक (gastrocolic) प्रतिक्रिया अत्यधिक प्रतिक्रिया के लिये उकसा सकती है, कुछ आई.बी.एस (IBS) के रोगीयों में उच्चतम आंत सम्बन्धी संवेदनशीलता के कारण यह पेट दर्द, दस्त और/या कब्ज़ की ओर अग्रसर कर सकती है।

रेशा

विश्वस्नीय साक्ष्य हैं कि घुलनशील रेशा अनुपूरण (जैसे, साइल्लियम (Psyllium) आई.बी.एस (IBS) ग्रसित सामान्य जनसंख्या के लिये प्रभावी है। अघुलनशील रेशा (जैसे, चोकर) आई.बी.एस (IBS) के लिए प्रभावी नहीं पाया गया है। कुछ लोगों में अघुलनशील रेशा अनुपूरण लक्षणों को बढा सकता है।

जिन लोगों मे कब्ज की प्रबलता है उन के लिये रेशा लाभप्रद हो सकता है। उन रोगियों में जिन में कब्ज प्रबल संवेदनशील आंत्र है, घुलनशील रेशे की प्रति दिन 20 ग्राम की खुराक समग्र लक्षणों को कम कर सकती है लेकिन दर्द को कम नहीं करेगी.आहार सम्बन्धित रेशे के अनुसंधान समर्थन करते हैं कि छोटे अध्ययनों में परस्पर विरोध विद्यमान है यह जटिलता प्रयुक्त रेशे और खुराकों के प्रकारों में विषमांग्ता के कारण हैं।

हालांकि, एक मेटा- विश्लेषण में पाया गया कि केवल् घुलनशील रेशे ने ही चिडचिडी आंत के वैश्विक लक्षण सुधार किये परन्तु किसी प्रकार के रेशे ने दर्द कम नहीं किया। यद्यपि उन्हीं लेखकों द्वारा अद्यतन किये हुये मेटा- विश्लेषण में पाया गया कि घुलनशील रेशा लक्षणों को कम करता है। सकारात्मक अध्ययन में बीज 10-30 ग्राम साइल्लियम (Psyllium) बीज का प्रतिदिन उपयोग किया गया। विशेष रूप से खुराक के प्रभाव एक नियन्त्रित अध्ययन किया गया और पाया कि प्रतिदिन 20 ग्राम इस्फैगुला (ispaghula) की भूसी, 10 ग्राम से बेह्तर थी और 30 ग्राम प्रतिदिन के बराबर थी। एक अनियंत्रित अध्ययन ने अघुलनशील रेशे के साथ लक्षणों में वृद्धि का उल्लेख किया। यह स्पष्ट नहीं है कि नियंत्रित समूह की तुलना में इन लक्षणों में वास्तव में वृद्धि हुई है। यदि लक्षण बढ़ रहे हैं, यह स्पष्ट नहीं है कि रोगी दस्त प्रमुख थे (जिन्हे अघुलनशील रेशे द्वारा निम्नतर बनाया जा सकता है) या क्या यह लाभ होने से पूर्व की अस्थायी बढ़ाता है।

कब्ज प्रमुख आई.बी.एस (IBS) की दवाओं में मल साफ्ट्नर (softeners) और जुलाब तथा दस्त प्रमुख आई.बी.एस (IBS) के हल्के लक्षणों में ऐन्टीडायरियल (antidiarrheals) {जैसे ओपियेट (opiate), ओपिओइड (opioid), या ओपिओइड (opioid) के अनुरूप दवाओं जैसे लोपेरामाइड (loperamide), कौडीन, डाइफिनाक्सीलेट (diphenoxylate) समाहित हैं।

आंतों में सेरोटोनिन (serotonin) (5-एच टी) को प्रभावित करने वाली दवायें लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं। सेरोटोनिन (serotonin) आंत की गतिशीलता को उत्तेजित करता है और इसलिए एगोनिस्ट्स (agonists) मदद कर सकते हैं कब्ज प्रमुख संवेदनशील आंत्र में सहायता कर सकते हैं, जबकि एंट्एगोनिस्ट्स (antagonists) दस्त प्रमुख संवेदनशील आंत्र में सहायता कर सकते हैं।

जुलाब

उन रोगीयों के लिये जो रेशा आहार की पर्याप्त प्रतिक्रिया नहीं देते हैं, परासरणिक जुलाब (osmotic laxatives) जैसे की पालीएथेलीनग्लायिकाल (polyethylene glycol), सार्बिटाल (sorbitol) और लैक्टुलोज़ (lactulose), जो उत्तेजक जुलाब से सम्बद्ध रह्ते हैं, "भेदक बृहदान्त्र", से बचने में मदद कर सकते हैं। परासरणिक जुलाबों के मध्य, पालीएथेलीन ग्लायिकाल (पी.ई.जी.) के 17-26 ग्राम / दिन का अच्छी तरह से अध्ययन किया गया है।

ल्यूबीप्रोस्टोन एमिटीज़ा (Lubiprostone Amitiza) एक जठर आंत प्रतिकारक है, जो आइडोपैथिक चिरकारी कब्ज और कब्ज प्रमुख आई.बी.एस (IBS) के उपचार के लिये उपयोग किया जाता है, ये बुज़ुर्गों सहित वयस्कों में भली प्रकार सहनीय है। 20 जुलाई 2006 तक ल्यूबीप्रोस्टोन (Lubiprostone) का अध्ययन बाल रोगियों में नहीं किया गया था। ल्यूबीप्रोस्टोन (Lubiprostone) एक द्विचक्रीय फैटी एसिड (प्रोस्टाग्लैंडीन E1 का व्युत्पन्न) है जो क्लोराइड प्रचुर द्रव स्त्राव उत्पन्न करने वाले जठरांत्र की बाह्य त्वचा सम्बन्धी कोशिकाओं के शिखर पर विशेष रूप से सक्रिय सीआईसी-२ क्लोराइड चैनलों द्वारा कार्य करते हैं। इन स्रावों से मल नरम, गतिशीलता में वृद्धि और स्वभाविक आंत्र गतियों (एसबीएम) को बढ़ावा.मिलता है। अन्य जुलाब उत्पादों के विपरीत ल्यूबीप्रोस्टोन (Lubiprostone) सहिष्णुता, निर्भरता या परिवर्तित सीरम इलेक्ट्रोलाइट सान्द्र्ता के चिन्ह प्रदर्शित नहीं करता.

अंग-ग्रह नाशक (antispasmodic)

अंग-ग्रह नाशक दवाएं {उदाहरण, एन्टीकोलाएनेर्जिक्स (anticholinergics) जैसे की ह्योस्क्यामाइन, डाइसाइक्लोमाइन (dicyclomine)} ऐंठन व दस्त रोगीयों की विशेष रूप से सहायता कर सकती हैं। कोक्रेंन के सहयोग से किये गये मेटा विश्लेषण ने निष्कर्ष निकाला है कि यदि 6 रोगीयों को अंग-ग्रह नाशक से उपचारित किया जाये तो उनमें से केवल 1 रोगी को लाभ. अंग-ग्रह नाशक : को न्यूरोट्रोपिक्स (neurotropics) और मस्क्यूलोट्रोपिक्स (musculotropics) दो समूहों में विभाजित किया जा सकता है।

  • न्यूरोट्रोपिक्स (neurotropics), जैसे कि ऐट्रोपाइन (atropine), पैरासिम्पैथिकस (parasympathicus) के तंत्रिका तंतु पर कार्य करते हैं परन्तु अन्य तंत्रिकाओं को भी प्रभावित करते हैं और दुष्प्रभाव भी छोडते हैं।
  • मस्क्यूलोट्रोपिक्स (musculotropics), जैसे कि मेबेवेराइन (mebeverine), जठराआंत्र पथ की लचीली मांसपेशीयों सीधे कार्य करता है, सामान्य आंत गतिशीलता को बिना प्रभावित किये ऐंठन से आराम देता है। इस कार्य में आटोनोमिक (autonomic) तंत्रिका तन्त्र कि मध्यस्थता ना होने के कारण सामान्य ऐन्टीकोलाइनेर्जिक (anticholinergic) दुष्प्रभाव अनुपस्थित रहते हैं।
त्रिचक्रीय अवसादरोधी (Tricyclic antidepressants)

इस बात के सशक़्त सबूत हैं कि त्रिचक्रीय अवसादरोधी (Tricyclic antidepressants) की निम्न खुराकें संवेदनशील आंत्र संलक्षण (सिंड्रोम) के लिए प्रभावी हो सकती हैं। अन्य अवसादरोधी वर्गों जैसे SSRIs की प्रभावशीलता के थोडे से साक्ष्य उपस्थित हैं।

सेरोटोनिन ऐगनिस्टस (Serotonin agonists)
  • आई.बी.एस (IBS) -सी के लिए टेगासेरोड ज़ेलनार्म् ((Tegaserod Zelnorm), एक चयनात्मक 5-एचटी4 (HT4) ऐगनिस्ट (agonist), आई.बी.एस (IBS) -C कब्ज में महिलाओं को राहत देने के लिए और चिरकालिक आईडोपैथिक कब्ज से पुरुषों और महिलाओं दोनो को राहत देने के लिए, उपलब्ध है। 30 मार्च 2007 को, खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) के अनुरोध पर नोवर्टिस (Novartis) फार्मास्यूटिकल्स ने स्वेच्छा से टेगसेरोड (Tegaserod) आधारित विप्पणन को, दवा के प्रयोग से जुडे गंभीर कार्डियो वेस्कुलर (ह्र्दय सम्बन्धी) प्रतिकूल घट्नाओं के बढे हुऐ खतरे को हाल ही में खोज द्वारा पह्चान ने के बाद बन्द कर दिया. नोवार्टिस स्वेच्छा से संयुक्त राज्य अमेरिका व कई अन्य देशों में दवा का विपणन निलंबित करने के लिए सहमत हो गयी। यदि रोगियों के लिए दवा की ज़रूरत है, अगर कोई तुलनात्मक, वैकल्पिक दवा या पद्धति रोग के उपचार के लिए उपलब्ध नहीं है तो संयुक्त राज्य अमेरिका में टेगसेरोड (tegaserod) के सीमित उपयोग करने की 27 जुलाई 2007, को खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने एक सीमित अनुमति देने को लिए उपचार इंडस्ट्रीज़ कार्यक्रम को मंजूरी दे दी. संयुक्त राज्य अमेरिका ने टेगसेरोड (Tegaserod) के गंभीर परिणाम के विषय में दो चेतावनीयां जारी की थीं। 2005 में, यूरोपीय संघ द्वारा टेगसेरोड (Tegaserod) को एक आई.बी.एस (IBS) दवा के रूप में अस्वीकार कर दिया था। संयुक्त राज्य अमेरिका में ज़ेल्नोर्म (Zelnorm) के रूप में विपणन किया जाने वाला टेगसेरोड (Tegaserod) के एक मात्र अभिकर्मक को, आई.बी.एस (IBS) (केवल महिलाओं में) के कब्ज, पेट दर्द और सूजन सहित बहुमुखी लक्षणों के उपचार के लिये मंज़ूरी दे दी. कोक्रेन के सहयोग से एक मेटा विश्लेषण द्वारा निष्कर्ष निकाला है कि अगर 17 रोगियों को टेगसेरोड (Tegaserod) की विशिष्ट खुराक द्वारा उपचारित किया जाता है तो केवल 1 रोगी को लाभ होगा.
  • चयनात्मक सेरोटोनिन (serotonin) रीअपटेक (reuptake) का अवरोध करनेवाले अवसादरोधी (SSRIs) अपने सेरोटोनेर्जिक (serotonergic) प्रभाव के कारण आई.बी.एस (IBS) में, विशेष रूप से उन रोगियों में जो कब्ज प्रमुख हैं, सहायक प्रतीत होते हैं। प्रारंभिक विकास की प्रक्रिया का अध्ययन और आकस्मिक नियंत्रित परीक्षण इस भूमिका का समर्थन करते हैं।
सेरिटोनिन ऐन्टगोनिस्ट्स (Serotonin antagonists)

एलोसेट्रोन् (Alosetron), आई.बी.एस (IBS)–D के लिए एक चयनात्मक 5-HT3 antagonists और साइलन्सेट्रोन (cilansetron) (यह भी एक चयनात्मक 5-HT3 antagonists) का संवेदनशील आंत्र संलक्षण (सिंड्रोम) के लिए परीक्षण किया गया। गंभीर प्रतिकूल प्रभावों अर्थात् इस्कीमिक बृहदांत्रशोथ और गंभीर कब्ज के कारण या तो ये अनुपलब्ध हैं या संवेदनशील आंत्र संलक्षण (सिंड्रोम) के लिए अनुशंसित नहीं हैं।

अन्य एजेंट

मैग्नीशियम एल्यूमीनियम सिलिकेट और अल्वेराइन (alverine) साइट्रेट दवाऐं संवेदनशील आंत्र संलक्षण (सिंड्रोम) के लिए प्रभावी हो सकती हैं।

वहाँ आई.बी.एस (IBS) में अवसादरोधीयाँ के लाभ के बारे में साक्ष्य परस्पर विरोधाभासी है। कुछ मेटा-विश्लेषणों ने लाभ पाया, जबकि अन्य ने नहीं पाया। मुख्य रूप से टीसीए (TCA) के एक मेटा-विश्लेषण में आकस्मिक नियंत्रित परीक्षणों में पाया कि यदि 3 रोगियों को टीसीए (TCA s) से उपचारित किया जाता है तो 1 मे सुधार आता है। एक अलग आकस्मिक नियंत्रित परीक्षण में पाया गया कि आई.बी.एस (IBS) -दस्त के प्रबल रोगीयों टीसीए (TCA s) सर्वोत्तम है।

हाल ही के अध्ययन में सुझाव दिया कि रिफैक्सिमिन (rifaximin) पेट की सूजन तथा पेट के फूलने में एक प्रभावकारी उपचार के रूप में प्रयोग किया जा सकता है, आई.बी.एस (IBS) के कुछ रोगियों में जीवाणु की अतिवृद्धि की संभावित भूमिका के लिए अधिक विश्वसनीयता प्रदान करती है।

डोम्पेरीडोन (Domperidone), एक डोपामाइन (dopamine) ग्राही अवरोधक और पैरासिम्पैथोमिमेटिक (parasympathomimetic), को आंत के परागमन समय के त्वरित होने के परिणामत: उत्पन्न पेट दर्द और सूजन को कम करते हुए दर्शाया गया है मल का लदान कम हो गया और ये ही छिपे कब्ज़ से राहत है और मल उत्सर्जन भी समान रूप से सुधरा है।

लाभों के समर्थन में साक्ष्यों का आभाव् और सहिष्णुता, शारीरिक निर्भरता तथा लत के संभावित जोखिमों के कारण ओपिओइडों (opioids). के उपयोग विवादास्पद हैं।

मनोचिकित्सा

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मन-शरीर या मस्तिष्क-आंत का परस्पर सम्बन्ध संवेदनशील आंत संलक्षण (सिंड्रोम) के लिए प्रस्तावित है और अनुसन्धानों के प्रति चैतन्यता मे वृद्धि हो रही है। कुछ रोगियों के लक्षणों में मनोवैज्ञानिक चिकित्सा मदद कर सकती है। संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी और सम्मोहन अत्यन्त लाभप्रद होना पाया गया है। सम्मोहन, मानसिक कल्याण में सुधार कर सकता है और संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी, सामना करने की मनोवज्ञानिक रणनीति प्रदान कर सकती है जो संवेदनशील आंत्र संलक्षण (सिंड्रोम) के लक्षणों में वृद्धि करते हैं उन पीड़ाकारी लक्षणों से निबट्ने के साथ ही साथ विचारों और व्यव्हारों के शमन में सहायता करते हैं। बहुत से अध्ययनों में संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी द्वारा लक्षणों में सुधार पाया गया है। विश्राम थेरेपी भी सहायक पायी गयी है।

शैक्षिक मीडिया और स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं की आशाओं के साथ साथ आई.बी.एस (IBS) के विषय में उनकी वरियताओं के प्रकार की सूचनायें, जिनकी उन्हें आवश्यक्ता है, रोगीयों के दृष्टिकोंण को पह्चानने के लिये 2006 में एक प्रश्नावली तैयार की गयी जो अन्य दशाओं जिन्में बृहदांत्रशोथ, कुपोषण और कैंसर भी सम्मिलित है, आई.बी.एस (IBS) विकास के विषय में गलत दृष्टिकोंण प्रकाश में आया।

सर्वेक्षण में पाया गया की आई.बी.एस (IBS) रोगी खाद्य पदार्थों का त्याग (60%), आई.बी.एस (IBS) के कारणों (55%), दवाओं (58%), सामना करने की रणनीतियों (56%) और आई.बी.एस (IBS) से सम्बन्धित मनोवैज्ञानिक कारकों (55%) के विषय मे सीखने में ज्यादातर रुचि रखते थे। उत्तरदाताओं ने संकेत दिया कि वे चाहते थे कि उनके अपने चिकित्सक फोन या ई-मेल पर उपलब्ध हों, दौरे (80%) से अनुसरण करें, सुनने (80%) की क्षमता रखते हों और आशा (73%) और सहायता (63%).प्रदान करते हों.

वैकल्पिक चिकित्सा

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अक्सर आई.बी.एस (IBS) में चिकित्सीय उपचारों के असंतोषजनक परिणामों के कारण50 प्रतिशत लोग परिपूरक वैकल्पिक दवाओं की ओर मुड़ जाते हैं।

प्रोबायोटिक्स

प्रोबायोटिक्स आई.बी.एस (IBS) के इलाज में लाभप्रद हो सकती है,10 बिलियन् से 100 बिलियन लाभप्रद जीवाणु का प्रतिदिन सेवन लाभप्रद परिणामों के लिये अनुशंसित हैं। यद्यपि अधिक परिष्कृत अनुशंसाओं के लिये लाभप्रद जीवाणुओं के उपभेदों पर और आगे अनुसंधान की आवश्यक्ता है। बहुत से प्रोबायोटिक्स जिनमें लैक्टोबैसिलस प्लैन्टरम (Lactobacillus plantarum) और बाईफाईडोबैक्टीरिया इन्फैन्टिस (Bifidobacteria infantis) शामिल हैं; यद्यपि हाल की समीक्षा में केवल बाईफाईडोबैक्टीरिया इन्फैन्टिस (Bifidobacteria infantis) ने क्षमता प्रदर्शित की है। कुछ प्रोबायोटिक्स का उपयोग दही बनाने में किया गया जो संवेदनशील आंत्र संलक्षण (सिंड्रोम) के लक्षणों में राहत पहुंचने में मदद कर सकता है।

हर्बल उपचार
  • पुदीना तेल: वयस्कों और बच्चों में आई.बी.एस (IBS) के लक्षणों में आंत्र सम्बन्धित् पुदीना तेल लेपित कैप्सूलों, की वकालत की गयी है। इन कैप्सूल के लाभदायक प्रभाव के अच्छे साक्ष्य हैं और ये अनुशंसा की गयी है कि पुदीना सभी संवेदनशील आंत्र संलक्षण (सिंड्रोम) के रोगियों में परीक्षित है। यद्यपि गर्भावस्था के दौरान सुरक्षा स्थापित नहीं की गयी है किन्तु चेतावनी की आवश्यक्ता है कि आंत्र सम्बन्धित लेप को चिब्लाया या काटा नहीं जाये अन्यथा निचले इसोफेगियल स्फिंक्टर (esophageal sphincte) राहत के परिणाम स्वरूप गैर्ट्रोइसोफेगियल (gastroesophageal) भाटा उत्पन्न हो सकता है। कभी कभी मतली या पेरीऐनल (perianal) जलन दुष्प्रभाव के रूप में घटित हो सकता है।
  • इब्रोगास्ट (Iberogast बहु - हर्बल सत्त, चार सप्ताह के उपचार के बाद उभय माध्यमों में पेट दर्द के स्तर में और आई.बी.एस (IBS) के दर्ज किये गये लक्षणों में महत्वपूर्ण रूप से प्लैस्बो (placebo) से श्रेष्ठ पाया गया।

वहाँ केवल संवेदनशील आंत्र संलक्षण (सिंड्रोम) के उपचार के लिए अन्य हर्बलों की प्रभाविकता के केवल सीमित साक्ष्य हैं। अन्य जड़ी बूटीयों की भांति दवा के साथ परस्पर प्रतिक्रिया और विपरीत प्रभाव के प्रति सम्भव जागरूकता बुद्धिमानी है।

योग

कुछ संवेदनशील आंत्र संलक्षण (सिंड्रोम) के पीड़ितों के लिए योग प्रभावकारी हो सकता है।

एक्यूपंक्चर

कुछ चयनित रोगियों, के लिए एक्यूपंक्चर मूल्यवान हो सकता है किन्तु प्रभावशीलता के आधार के साक्ष्य बहुत दुर्बल हैं। कोक्रेन के सहयोग से की गयी एक मेटा विश्लेषण ने निष्कर्ष निकाला कि बहुत सारे परिक्षणों की गुणवत्ता बहुत खराब है और ये अज्ञात है कि क्या एक्यूपंक्चर प्लैस्बो (placebo) से अधिक प्रभावकारी हैं।

जानपदिक रोग विज्ञान (एपिडेमियोलॉजी)

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चित्र:Wiki ibs prevalence.jpg
विभिन्न देशों में विभिन्न अध्ययनों में सूचित किया गया आईबीएस (IBS) के साथ आबादी का प्रतिशत

अध्ययनों ने सूचित किया है कि जांच में पाया गया कि आई.बी.एस (IBS) का प्रसार देश और आयु वर्ग के आधार पर भिन्न हो जाता है। अध्ययनों में दिखाये गये विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के आई.बी.एस (IBS) के लक्षणों वाली जनसंख्या का प्रतिशत बार ग्राफ में दांयी ओर दिखाया गया है (सन्दर्भ के लिए नीचे दी गई तालिका देखें).

विभिन्न देशों में किये गये अध्ययनों में मापे गये आई.बी.एस (IBS) और आई.बी.एस (IBS) जैसे लक्षणों के प्रसार को प्रदर्शित करने वाली तालिका की सूची नीचे दी गयी है।

विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के विभिन्न अध्ययनों में आई.बी.एस (IBS) के लक्षणों को दर्शाने वाली जनसंख्या का प्रतिशत
देश प्रसार लेखक / वर्ष टिप्पणी
कनाडा 6% बोइविन, 2001
जापान 10% क्यूजिले, 2006 जीआई (GI) पेट दर्द/ऐंठन की व्याप्तता माप का अध्ययन
युनाइटेड किंगडम 8.2%, 10.5% एह्लिन, 2003
विल्सन, 2004
1970-2004 व्याप्ति men काफी वृद्धि हुई है
संयुक्त राज्य अमेरिका 14.1% हगिन, 2005 सर्वाधिक अनिदानित
संयुक्त राज्य अमेरिका 15% बोइविन, 2001 अनुमान
पाकिस्तान 14% जाफरी, 2007 16-30 आयु सीमा में काफी अधिक आम है। IBS रोगियों में से 56% पुरुष, 44% महिला
पाकिस्तान 34% जाफरी, 2005 कॉलेज के छात्र
मेक्सिको शहर 35% स्च्मुल्सोन, 2006 एन=324. कार्यात्मक दस्त और कार्यात्मक उल्टी को भी मापा. "एक आबादी वाले शहर में रहने के तनाव को उच्च दरके लिए का उत्तरदायी ठहराया
ब्रज़िल में 43% क्यूजिले, 2006 जीआई (GI) पेट दर्द/ऐंठन की व्याप्तता माप का अध्ययन
मेक्सिको में 46% क्यूजिले, 2006 जीआई (GI) पेट दर्द/ऐंठन की व्याप्तता माप का अध्ययन

संयुक्त राज्य अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय यात्रा से लौटने वाले निवासियों के एक अध्ययन ने पाया की यात्रा के दौरान IBS के एक उच्च दर और लगातार दस्त विकसित हो गये और वापसी पर हठपूर्वक बने रहे. उटाह में 83 लोगों, जिनमें से ज्यादातर लौट रहे मिशनरी थे, पर की गयी जांच का अध्ययन किया गया। जिन्होने प्रश्नावली पूर्ण की उन्में से 68 जठरांत्रशोथ, 27 ने यात्रा के दौरान विकसित लगातार दस्तों का उल्लेख किया और 10 ने यात्राके दौरान विकसित हुए लगातार आई.बी.एस (IBS) का उल्लेख किया।

“संवेदनशील आंत्र” की अवधारणा का पहला सन्दर्भ 1950 में रॉकी माउंटेन मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुयी. उन रोगीयों को, जिन्में दस्त, पेट दर्द और कब्ज़ विकसित हुआ, परन्तु कोई भलि भांति मान्यता प्राप्त संक्रामक कारण नहीं पाया गया, वर्गीकृत करने के लिये इस शब्द का प्रयोग हुआ आरम्भिक सिद्धान्तों ने सुझाव दिया कि संवेदनशील आंत्र मनोदैहिक या मानसिक विकारों के कारण.

अर्थ तंत्र

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संयुक्त राज्य अमेरिका में संवेदनशील आंत्र संलक्षण (सिंड्रोम) की समग्र लागत अतिरिक्त 20 बिलियन $, के साथ $1.7 -$10 बिलियन प्रत्यक्ष चिकित्सा लागत के रूप में, कुल $21.7-$30 बिलियन अनुमानित की गयी है। एक देखभाल का प्रबन्धन करने वाली कम्पनी द्वारा कराये गये एक अध्ययन में आई.बी.एस (IBS) और गैर आई.बी.एस (IBS) रोगीयों की चिकित्सा लागत की तुलना में आई.बी.एस (IBS) निदान किये गये रोगियों के साथ चिकित्सा लागत में 49% वार्षिक् वृद्धि की सम्बद्धता को पह्चाना 2007 में एक प्रबंधित देखभाल संगठन के अध्ययन ने पाया कि आई.बी.एस (IBS) रोगियों औसतन प्रत्यक्ष लागत के रूप् में $ 5,049 और $ 406 अतिरिक्त जेब खर्च के रूप में वहन करते हैं। आई.बी.एस (IBS) ग्रसित श्रमिकों के एक अध्ययन में पाया गया कि वे, प्रति सप्ताह 40 घंटों में से 13.8 घंटों के तुल्य, 34.6% उत्पादकता में कमी दर्ज कराते हैं। 1990 के दशक में 100 कंपनीयों के साथ डेटा फॉर्च्यून ने एक नियोक्ता सम्बन्धित स्वास्थ लागत अध्ययन आयोजित किया जिसने पाया कि आई.बी.एस (IBS) रोगियों पर $ 4527 की लागत के मुकाबले नियंत्रण के लिए $3276 व्यय भार पड़्ता है। 2003 में फार्मेसी कॉलेज ऑफ जॉर्जिया विश्वविद्यालय और नोवर्टिस (Novartis) ने मेडिकेड (Medicaid) लागत के लिये अध्ययन आयोजित किया और पाया कि आई.बी.एस (IBS), रोगीयों में मेडिकेड (Medicaid) लागत कैलिफोर्निया में $ 962 और उत्तरी केरोलिना में $2191, की वृद्धि से सम्बद्ध था। आई.बी.एस (IBS) रोगियों में चिकित्सक यात्राओं, बहिरंग विभाग यात्राओं और निदान हेतु दवाओं की लागत उच्च थी। अध्ययन ने सुझाव दिया की आई.बी.एस (IBS) के साथ जुड़ी लागत अस्थमा के रोगियों के समतुल्य थी।

अनुसंधान

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गिब्सन और शेफर्ड कहते हैं कि एक निम्न फोड्मैप (FODMAP) आहार को आई.बी.एस (IBS) और् आई.बी.डी (IBD) की स्थितियों में बहुत व्यापक प्रयोग की अनुशंसा करने के अपर्याप्त सुदृढ साक्ष्यों का आधार विद्यमान है। वे यह भी बताते हैं कि उफानने योग्य ओलिइगो (Fermentable Oligo-), Di और मोनो सैक्राइड्स (saccharides) और पोलियोल्स (Polyols) के प्रतिबन्ध व्यक्तिगत रूप से ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर कार्यात्मक आंत विकारों {जैसे आई.बी.एस (IBS)} के लक्षणों को नियंत्रित करते हैं और आई.बी.डी (IBD) रोगियों की बाहुल्यता में ठीक-ठाक प्रतिक्रिया देते हैं। यह फ्रक्टोज़(Fructose) और फ्रक्तटान (Fructans), जो फोडमैप (FODMAPs) भी हैं, को प्रतिबन्धित करने की अपेक्षाकृत अधिक सफल हैं, जैसा कि उन लोगों के लिये अनुशंसित है जो फ्रक्टोज़ मैलब्ज़ोर्पशन् (Fructose malabsorption) से ग्रसित हैं। लम्बी अवधि का आहार अनुपालन उच्च था।

आई.बी.एस (IBS) रोगियों पर एक आकस्मिक नियंत्रित परीक्षण ने पाया कि आई.जी जी की मध्यस्थ्ता वाला खाद्य असहिष्णु आहार खाद्य उन्मूलन की तुलना में, लक्षणों में 24%अधिक गिरावट देता है और निष्कर्ष देते हैं कि आईजीजी एंटीबॉडीज पर आधारित खाद्य उन्मूलन आई.बी.एस (IBS) लक्षणों को घटाने में प्रभावकारी हो सकते हैं और आगे जैविक चिकित्सा अनुसंधान के योग्य हैं।

1974 से राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान अपने सी आर आई एस पी डेटाबेस पर अनुदान प्रदान करने के लिए एक खोजे जा सकने वाला डेटाबेस उपलब्ध कराते हैं और इसके हाल ही के पुरस्कार के लिए डॉलर की राशि पुरस्कार इन्त्र्मुलर ग्रांट अवार्ड पेज पर उपलब्द्ध कराते है। 2006 में, एनईएच (NIH) ने आई.बी.एस से संबंधित लगभग 56 अनुदान में कुल लगभग 18.7 करोड़ डॉलर प्रदान किये.

इन्हें भी देखें

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  • कार्यात्मक अपच
  • चिरकालिक कार्यात्मक पेट दर्द
  • कार्यात्मक कब्ज
  • खाद्य असहिष्णुता
  • लैक्टोज असहिष्णुता
  • फ्रक्टोज़ मलेब्सोर्पशन
  • अतिसंवेदनशीलता
  1. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; CMAJ_2006 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  2. [44]
  3. Windsor J (2007). "B. hominis and D. fragilis: Neglected human protozoa". British Biomedical Scientist: 524–7. मूल से 7 मार्च 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 अगस्त 2010.
  4. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; YAKOOB_2004 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  5. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; GIACOM_1999 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।

बाहरी कड़ियाँ

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